बाल कहानी : नाविक और जलपरी एक गाँव में एक नाविक और एक मछुआरे की अच्छी दोस्ती थी। नाविक एक नेक और गरीब इंसान था और मछुआरा एक धनवान पर लालची आदमी था। एक दिन नाविक जब सुबह सुबह नाव खोलने नदी पर पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी नाव वहां नहीं थी। By Lotpot 03 Jan 2022 | Updated On 03 Jan 2022 12:55 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी - नाविक और जलपरी:- एक गाँव में एक नाविक और एक मछुआरे की अच्छी दोस्ती थी। नाविक एक नेक और गरीब इंसान था और मछुआरा एक धनवान पर लालची आदमी था। एक दिन नाविक जब सुबह सुबह नाव खोलने नदी पर पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी नाव वहां नहीं थी। उसने बहुत ढूंढा लेकिन नाव नहीं मिली। अब वो कैसे दूसरी नाव खरीदे, यही सोचकर गरीब नाविक रोने लगा। उसका रोना सुनकर नदी से एक सुंदर जलपरी बाहर आई , उसने नाविक से रोने का कारण पूछा, तो नाविक ने अपनी नाव खो जाने की बात दी। जलपरी ने नदी में डुबकी लगाई और थोड़ी देर में एक सुंदर चांदी की नाव लेकर बाहर निकली, उसने नाविक से पूछा, "क्या यह तुम्हारी नाव है?" नाविक ने तुरन्त कहा कि यह उसका नाव नहीं है। जलपरी वापस नदी से एक चमचमाती सोने की नाव लेकर बाहर आई, उसने नाविक से पूछा, " क्या यह तुम्हारी नाव है?" इस बार भी नाविक ने कहा कि उसकी नाव तो लकड़ी की बनी है, यह सोने की नाव उसकी नहीं है। जलपरी फिर से नदी में समा गई और इस बार लकड़ी वाली नाव लेकर बाहर निकली। अपनी पुरानी नाव को देखते ही नाविक खुशी से झूम कर बोला, "हाँ, हाँ, यही मेरी नाव है।" जलपरी ने नाविक की ईमानदारी से खुश होकर उसे तीनों नाव दे दिए और नाविक खुशी खुशी अपनी नाव के साथ सोने चाँदी के नाव लेकर चला गया। शाम को जब वो अपने घर लौटा तो उसने जलपरी की कहानी अपने दोस्त मछुआरे को सुनाई। मछुआरे के मन में लालच आ गया।अगले दिन वो मछली पकड़ने वाला अपना जाल लेकर नदी किनारे पहुँचा और जाल को नदी में डुबो कर जोर जोर से रोने लगा। सुंदर जलपरी फिर नदी से बाहर निकली और मछुआरे से रोने का कारण पूछा तो मछुआरे ने झूठे आंसू बहाते हुए कहा कि उसका मछली पकड़ने वाला जाल नदी में खो गया है। जलपरी ने नदी में डुबकी लगाई और एक चांदी का जाल लेकर मछुआरे से पूछा, "क्या यह तुम्हारा जाल है?" लालची मछुआरे को तो हीरे का जाल चाहिए था इसलिए उसने कहा कि यह उसका जाल नहीं है। जलपरी ने फिर पानी में डुबकी लगाई और एक सोने का जाल लाकर बोली, "क्या यही तुम्हारा मछली पकड़ने वाला जाल है?" मछुआरे ने कहा, "नहीं, मेरा जाल तो हीरे का है।" यह सुनकर जलपरी ने अफसोस के साथ कहा, "नहीं इस नदी में कोई हीरे का जाल नहीं है।" इतना कहकर वो नदी में गायब हो गई। मछुआरे ने अपना सर पीट लिया। लालच के कारण उसे न तो चाँदी का जाल मिला, ना सोने का जाल मिला और इस चक्कर में उसका अपना जाल भी खो गया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ और लालच से हमारा अपना ही नुकसान होता है। -सुलेना मजुमदार अरोरा बाल कहानी : जाॅनी और परी बाल कहानी : मूर्खता की सजा बाल कहानी : दूध का दूध और पानी का पानी Like us : Facebook Page #Hindi Story #बाल कहानी #Best Hindi Story #Hindi Bal Kahani You May Also like Read the Next Article