Amrita Pritam: भारतीय साहित्य की धरोहर अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) भारतीय साहित्य की एक प्रमुख कवयित्री और लेखिका थीं, जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से प्रेम, पीड़ा, और समाज की असमानताओं को आवाज़ दी। By Lotpot 31 Aug 2024 in Lotpot Personality New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) भारतीय साहित्य की एक प्रमुख कवयित्री और लेखिका थीं, जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से प्रेम, पीड़ा, और समाज की असमानताओं को आवाज़ दी। उनकी रचनाएँ आज भी पाठकों के दिलों को छूती हैं। इस लेख में हम अमृता प्रीतम के जीवन, उनकी प्रमुख रचनाओं, और उनके साहित्यिक योगदान पर विस्तृत चर्चा करेंगे। अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) का जीवन परिचय अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त 1919 को पंजाब के गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) हुआ था। उनका असली नाम अमृता कौर था। वे बचपन से ही साहित्य में रुचि रखने लगीं और महज सोलह साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कविता संग्रह प्रकाशित की। उनकी रचनाएँ मुख्य रूप से पंजाबी और हिंदी में होती थीं। प्रमुख रचनाएँ और साहित्यिक योगदान अमृता प्रीतम की सबसे प्रसिद्ध रचना 'पिंजर' है, जो विभाजन की त्रासदी पर आधारित है। यह उपन्यास एक महिला की कहानी को बयां करता है जो समाज की परंपराओं और रीति-रिवाजों के बीच अपनी पहचान ढूंढ़ती है। उनकी कविता 'आज आखाँ वारिस शाह नूँ' विभाजन की दर्दनाक यादों को व्यक्त करती है और उन्हें पंजाबी साहित्य का एक महान कवि बना देती है। प्रेम और पीड़ा की अभिव्यक्ति अमृता प्रीतम के लेखन में प्रेम और पीड़ा की गहरी अभिव्यक्ति देखने को मिलती है। उनकी कविताओं और कहानियों में महिलाओं के संघर्ष, उनकी भावनाओं, और समाज की कटु सच्चाइयों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया गया है। साहिर लुधियानवी के साथ उनके प्रेम का किस्सा भी उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसे उन्होंने अपनी रचनाओं में संजोया है। साहित्य में योगदान और सम्मान अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार शामिल हैं। वे पहली महिला थीं जिन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके लेखन ने न केवल भारतीय साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि महिलाओं की आवाज़ को भी मज़बूती प्रदान की। अमृता प्रीतम (Amrita Pritam) की साहित्यिक विरासत अमृता प्रीतम का साहित्यिक योगदान अमूल्य है। उनकी रचनाएँ आज भी नए लेखकों और पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी कविताएँ, कहानियाँ, और उपन्यास न केवल साहित्य के विद्यार्थियों के लिए, बल्कि समाज के हर व्यक्ति के लिए मूल्यवान हैं। अमृता प्रीतम के साहित्य में वह ताकत है जो समय के साथ और भी प्रासंगिक होती जा रही है। उनके द्वारा उठाए गए सामाजिक मुद्दे, प्रेम और पीड़ा की गहराई, और उनके शब्दों का जादू आज भी हमें प्रेरित करता है। उनके जीवन और साहित्यिक योगदान को समझना एक समृद्ध अनुभव है। इन्हें भी जानें:- राष्ट्र कवि: रामधारी सिंह दिनकर भारत के वन पुरुष जादव मोलाई पायेंग Public Figure: हैरी पॉटर की लेखिका जे.के. रोलिंग Public Figure: स्पोर्टिंग पर्सनालिटी ऑफ द सेंचुरी 1999 मुहम्मद अली नेल्सन मंडेला का जीवन : स्वतंत्रता, न्याय और समानता के प्रतीक #Lotpot Personality You May Also like Read the Next Article