Arunima Sinha: हिम्मत और आत्मविश्वास की मिसाल अरूणिमा सिन्हा अरूणिमा सिन्हा (Arunima Sinha) का नाम उन लोगों में शामिल है, जिन्होंने अपने दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास के दम पर असंभव को भी संभव कर दिखाया। जहां एक सामान्य व्यक्ति विकलांगता के कारण हिम्मत हार सकता है By Lotpot 27 Aug 2024 in Lotpot Personality New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 अरूणिमा सिन्हा (Arunima Sinha) का नाम उन लोगों में शामिल है, जिन्होंने अपने दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास के दम पर असंभव को भी संभव कर दिखाया। जहां एक सामान्य व्यक्ति विकलांगता के कारण हिम्मत हार सकता है, वहीं अरूणिमा ने अपने एक पैर से ही दुनिया की सबसे ऊंची चोटी, माउंट एवरेस्ट, पर विजय प्राप्त की। दुर्घटना और संघर्ष वर्ष 2011 की बात है, जब 26 वर्षीय अरूणिमा ट्रेन में सफर कर रही थीं। यात्रा के दौरान, कुछ चोरों ने उनका सामान छीनने की कोशिश की। उन्होंने बहादुरी से चोरों का सामना किया, लेकिन उनकी संख्या अधिक होने के कारण उन्होंने अरूणिमा को चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया। इस घटना में उनका एक पैर बुरी तरह घायल हो गया और उसे काटना पड़ा। बावजूद इसके, अस्पताल में उन्होंने आत्मविश्वास नहीं खोया और डॉक्टरों और नर्सों से बड़े साहस के साथ बातचीत करती रहीं। चार साल बाद, उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, जब उनके कृत्रिम पैर में संक्रमण हो गया था। इसके बावजूद, उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रहीं। माउंट एवरेस्ट की चुनौती अरूणिमा ने कृत्रिम पैर के साथ पर्वतारोहण की ट्रेनिंग ली और माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई का लक्ष्य निर्धारित किया। यह लक्ष्य उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य बन गया था। एम्स के डॉक्टरों ने उनका इलाज किया और उन्होंने बताया कि अरूणिमा जैसा आत्मविश्वास उन्होंने किसी और मरीज में नहीं देखा था। ऑपरेशन थियेटर में जाते समय, अरूणिमा ने डॉक्टर से केवल एक सवाल पूछा था, "क्या मैं फिर से खेल पाऊंगी?" इस साहस और दृढ़ता के कारण, अरूणिमा ने 2013 में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर विजय प्राप्त की। वह ऐसा करने वाली पहली महिला विकलांग बन गईं। उनके इस कारनामे ने पूरे विश्व को दिखा दिया कि इंसान के हौसले के आगे विकलांगता भी बौनी पड़ जाती है। सम्मान और प्रेरणा अरूणिमा के इस अद्वितीय साहस को देखते हुए, उन्हें गणतंत्र दिवस पर पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उनके इस सम्मान से न केवल उन्हें गर्व हुआ, बल्कि अन्य विकलांगों को भी प्रेरणा मिली। उनकी किताब "बॉर्न अॉन अ माउंटेन" का विमोचन स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। यह किताब उनके जीवन के संघर्षों और उनकी विजय की कहानी बताती है। सीख: अरूणिमा सिन्हा की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन अगर हमारा हौसला मजबूत हो, तो हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। उनका आत्मविश्वास, साहस, और धैर्य हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। इन्हें भी जानें:- राष्ट्र कवि: रामधारी सिंह दिनकर भारत के वन पुरुष जादव मोलाई पायेंग Public Figure: हैरी पॉटर की लेखिका जे.के. रोलिंग Public Figure: स्पोर्टिंग पर्सनालिटी ऑफ द सेंचुरी 1999 मुहम्मद अली नेल्सन मंडेला का जीवन : स्वतंत्रता, न्याय और समानता के प्रतीक #Lotpot Personality #Arunima Sinha You May Also like Read the Next Article