Dadabhai Naoroji: स्वतंत्रता संग्राम के पितामह की अनसुनी कहानियाँ

दादाभाई नौरोजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। उन्हें 'भारतीय राष्ट्रवाद का जनक' कहा जाता है। उन्होंने ब्रिटिश शासन के आर्थिक शोषण का पर्दाफाश किया और भारतीयों के अधिकारों की मांग की।

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Dadabhai Naoroji Unheard stories of the patriarch of the Indian freedom struggle
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दादाभाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। उन्हें 'भारतीय राष्ट्रवाद का जनक' कहा जाता है। उन्होंने ब्रिटिश शासन के आर्थिक शोषण का पर्दाफाश किया और भारतीयों के अधिकारों की मांग की। यह लेख दादाभाई नौरोजी के जीवन, उनके योगदान, और उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डालता है, जो हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

1. दादाभाई नौरोजी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

  • प्रारंभिक जीवन: दादाभाई नौरोजी का जन्म 4 सितंबर 1825 को मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था।
  • शिक्षा: उन्होंने एल्फिंस्टन कॉलेज, मुंबई से शिक्षा प्राप्त की और गणित तथा अर्थशास्त्र में महारत हासिल की। वे शिक्षा के महत्व को समझते थे और भारतीय समाज में शिक्षा के प्रसार के लिए हमेशा तत्पर रहे।

2. ब्रिटेन में भारतीय आवाज़

  • पहला भारतीय सांसद: दादाभाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji) ब्रिटेन की संसद में चुने जाने वाले पहले भारतीय थे। 1892 में वे फिंसबरी से लिबरल पार्टी के सांसद बने।
  • 'पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया': नौरोजी ने इस पुस्तक के माध्यम से ब्रिटिश शासन द्वारा भारत के आर्थिक शोषण की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने ब्रिटेन को 'भारत का धन' वापस करने के लिए प्रेरित किया।

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3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन और नेतृत्व

  • कांग्रेस के संस्थापक सदस्य: दादाभाई नौरोजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उन्होंने तीन बार कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
  • स्वराज की मांग: नौरोजी ने सबसे पहले स्वराज (स्व-शासन) की मांग की, जो आगे चलकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य उद्देश्य बना।

4. 'दादाभाई' का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

  • ब्रिटिश शासन का विरोध: दादाभाई नौरोजी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। उन्होंने भारतीयों के अधिकारों की मांग की और उनके आर्थिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाई।
  • भारतीय समाज में सुधार: नौरोजी ने महिलाओं की शिक्षा, दलितों के उत्थान, और समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ भी काम किया। वे समाज सुधारक के रूप में भी जाने जाते हैं।

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5. दादाभाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji) की प्रेरणादायक विरासत

  • प्रेरणा स्रोत: दादाभाई नौरोजी का जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने भारतीयों को यह सिखाया कि अगर वे संगठित होकर संघर्ष करें, तो कोई भी उन्हें उनके अधिकारों से वंचित नहीं कर सकता।
  • मृत्यु और स्मरण: 30 जून 1917 को दादाभाई नौरोजी का निधन हो गया, लेकिन उनका योगदान भारतीय इतिहास में हमेशा अमर रहेगा।

दादाभाई नौरोजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वह महान योद्धा थे जिन्होंने भारत के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनकी शिक्षाएँ और संघर्ष हमें हमेशा याद दिलाते रहेंगे कि स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए लड़ना कितना महत्वपूर्ण है। भारतीय राष्ट्रवाद के जनक के रूप में, उनका योगदान हर भारतीय के दिल में बसा हुआ है।

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