मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वर्तमान प्रमुख हैं, जो भारतीय समाज में राष्ट्रवादी और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वह 2009 से आरएसएस के सरसंघचालक के रूप में कार्यरत हैं। उनकी विचारधारा राष्ट्र निर्माण और समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने की है।
मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बारे में जानकारी:
1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
- जन्म: मोहन भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर में हुआ था।
- परिवार: उनका परिवार भी संघ से जुड़ा हुआ था, उनके पिता स्वयं आरएसएस में पदाधिकारी थे।
- शिक्षा: उन्होंने पशु चिकित्सा विज्ञान में डिग्री प्राप्त की, लेकिन उनका झुकाव शुरू से ही संघ की ओर था।
2. आरएसएस से जुड़ाव:
- मोहन भागवत ने कॉलेज के दिनों से ही आरएसएस में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू कर दी थी।
- उन्होंने संघ के विभिन्न स्तरों पर काम किया और संघ के कार्यों को संगठित और मजबूत किया।
- 2009 में उन्हें सरसंघचालक (आरएसएस प्रमुख) नियुक्त किया गया, जो आरएसएस के सबसे ऊंचे पद का दायित्व है।
3. आरएसएस में नेतृत्व:
- मोहन भागवत के नेतृत्व में आरएसएस ने देशभर में अपने संगठनों और विचारधारा का विस्तार किया।
- उनके नेतृत्व में संघ ने सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्रों में कई कार्यक्रम चलाए, जिनका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को एकजुट करना था।
4. विचारधारा और दृष्टिकोण:
- राष्ट्रवाद: मोहन भागवत का मानना है कि भारत का निर्माण तभी संभव है, जब समाज के सभी वर्ग एकजुट होकर काम करें।
- धर्म और संस्कृति: वह भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने पर जोर देते हैं और धार्मिक सहिष्णुता के पक्षधर हैं।
- स्वदेशी और आत्मनिर्भरता: मोहन भागवत स्वदेशी उत्पादों और आत्मनिर्भरता के समर्थक हैं और भारत के विकास के लिए इन पर बल देते हैं।
5. प्रमुख योगदान:
- उन्होंने भारतीय समाज में राष्ट्रीयता और सामाजिक समरसता का संदेश फैलाया।
- उनके नेतृत्व में आरएसएस ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई अभियान चलाए।
- मोहन भागवत ने देश की शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक सुधारों में आरएसएस की भूमिका को और मजबूत किया।
6. व्यक्तिगत जीवन:
- मोहन भागवत एक साधारण और अनुशासित जीवन जीते हैं। उनके विचार और कामकाज संघ के उद्देश्यों और राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा को प्रकट करते हैं।
- उन्होंने विवाह नहीं किया और अपने जीवन को पूरी तरह से राष्ट्र सेवा और संघ कार्यों को समर्पित किया है।
सीख और प्रेरणा:
मोहन भागवत का जीवन हमें यह सिखाता है कि राष्ट्र निर्माण और समाज सेवा के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ काम करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने जीवन को समाज के उत्थान और एकता के उद्देश्य से समर्पित किया है, जो हमें अपने कर्तव्यों के प्रति प्रेरित करता है।
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