Shivram Rajguru : शिवराम राजगुरु का जीवन और बलिदान

शिवराम हरि राजगुरु (Shivram Rajguru) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन महान योद्धाओं में से एक थे, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया और अपने प्राणों की आहुति दी।

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Shivram Rajguru Life and sacrifice of Shivram Rajguru
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शिवराम हरि राजगुरु (Shivram Rajguru) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन महान योद्धाओं में से एक थे, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया और अपने प्राणों की आहुति दी। उनकी वीरता और देशभक्ति ने भारतीय युवाओं को प्रेरित किया और उन्हें आज भी एक महान क्रांतिकारी के रूप में याद किया जाता है। आइए, उनके जीवन और बलिदान पर एक नजर डालते हैं।

1. प्रारंभिक जीवन

  • जन्म और परिवार: शिवराम राजगुरु (Shivram Rajguru) का जन्म 24 अगस्त 1908 को महाराष्ट्र के पुणे जिले के खेड़ा गाँव में हुआ था। उनका परिवार एक सामान्य मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार था, जिसमें भारतीय संस्कृति और परंपराओं का पालन किया जाता था।
  • शिक्षा और प्रारंभिक प्रभाव: राजगुरु को बचपन से ही भारतीय संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम के प्रति गहरी रुचि थी। उनके पिता के निधन के बाद, उन्होंने अपनी शिक्षा वाराणसी में पूरी की, जहां वे भारतीय इतिहास और संस्कृति से प्रेरित हुए।

2. क्रांतिकारी यात्रा का प्रारंभ

  • हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA): राजगुरु ने किशोरावस्था में ही स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। वे जल्द ही भगत सिंह और सुखदेव जैसे महान क्रांतिकारियों के साथ जुड़ गए और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गए।
  • साहसिक कार्य: राजगुरु को उनके साहस और निर्भीकता के लिए जाना जाता था। उन्होंने ब्रिटिश अधिकारी जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए किया गया था।

Shivram Rajguru Life and sacrifice of Shivram Rajguru

3. राजगुरु का बलिदान (Shivram Rajguru)

  • गिरफ्तारी और मुकदमा: 19 दिसंबर 1928 को सॉन्डर्स की हत्या के बाद, राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर लाहौर षड्यंत्र केस चलाया गया, जिसमें उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।
  • फांसी और अंतिम विदाई: 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को एक साथ लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। इस दिन को 'शहीद दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

Shivram Rajguru Life and sacrifice of Shivram Rajguru

4. राजगुरु की विरासत

  • देशभक्ति का प्रतीक: शिवराम राजगुरु (Shivram Rajguru) का नाम आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान शहीदों में शुमार है। उनकी साहसिक गाथा ने भारतीय युवाओं को देशभक्ति और संघर्ष की प्रेरणा दी है।
  • स्मारक और सम्मान: राजगुरु की याद में कई स्मारक और संस्थान बनाए गए हैं, जो उनके बलिदान की कहानी को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाते हैं।

शिवराम राजगुरु ने अपने जीवन को देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया और अपने साहस और बलिदान से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया आयाम दिया। उनकी वीरता और बलिदान का स्मरण हमें हमेशा देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है।

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