आखिरी कोशिश: हार न मानने की कहानी | Best Hindi Motivational Story

पुराने ज़माने की बात है। एक विशाल साम्राज्य का राजा, वीरेंद्र, एक भयंकर युद्ध में बुरी तरह हार गया था। उसकी सेना तितर-बितर हो चुकी थी, और सैनिकों का अधिकांश हिस्सा मारा गया था।

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यह कहानी राजा वीरेंद्र की है, जो एक युद्ध में हारने के बाद जंगल की गुफा में फँस जाता है। शत्रु सैनिकों ने गुफा को पत्थरों से बंद कर दिया था, और वीरेंद्र की उम्मीद टूटने लगी थी। लेकिन अपनी माँ की सीख—“आखिरी साँस तक कोशिश कर”—ने उसे नई हिम्मत दी। उसने पत्थर हटाकर गुफा से निकलने का रास्ता बनाया और अपने दोस्त राजा प्रताप की मदद से दुश्मनों को हराकर अपना राज्य वापस पा लिया। यह प्रेरक कहानी सिखाती है कि मुश्किलों में हार मानने से पहले एक और कोशिश करने से ज़िंदगी बदल सकती है।

कहानी: आखिरी कोशिश

पुराने ज़माने की बात है। एक विशाल साम्राज्य का राजा, वीरेंद्र, एक भयंकर युद्ध में बुरी तरह हार गया था। उसकी सेना तितर-बितर हो चुकी थी, और सैनिकों का अधिकांश हिस्सा मारा गया था। वीरेंद्र किसी तरह अपनी जान बचाकर एक घने जंगल में भाग निकला। लेकिन दुश्मन सैनिक उसका पीछा करते हुए जंगल तक पहुँच गए। अपनी जान बचाने के लिए वीरेंद्र एक अंधेरी गुफा में जा छिपा।

शत्रु सैनिक गुफा के पास आए। उन्होंने अंदर तक तलाशी ली, लेकिन राजा को ढूँढ नहीं सके। हारकर उन्होंने गुफा के प्रवेश द्वार को भारी-भरकम पत्थरों से बंद कर दिया और चले गए।

अब वीरेंद्र उस गहरी, ठंडी गुफा में अकेला था। भूख और प्यास ने उसे कमज़ोर कर दिया था। शरीर थकान से चूर था, और मन में निराशा के काले बादल छा रहे थे। “अब सब खत्म हो चुका है,” उसने उदास मन से सोचा। “मेरा राज्य गया, मेरी सेना गई, अब मैं भी इस गुफा में मर जाऊँगा।”

तभी उसे अपनी माँ की कही एक बात याद आई। बचपन में जब वह किसी खेल में हारकर निराश हो जाता था, तब उसकी माँ ने प्यार से कहा था, “वीरू, आखिरी साँस तक कोशिश कर। हार मानने से पहले एक और कोशिश कर ले!”

माँ की बात वीरेंद्र के मन में बिजली की तरह चमकी। उसका मन उदास से उत्साहित हो उठा। “नहीं, मैं हार नहीं मानूँगा!” उसने ज़ोर से कहा, मानो गुफा की दीवारें भी उसकी आवाज़ सुन रही हों। “मुझे एक और कोशिश करनी होगी!”

वीरेंद्र ने गुफा के द्वार पर रखे पत्थरों को हटाने की ठानी। उसने अपनी सारी ताकत लगा दी। पत्थर भारी थे, और उसका शरीर कमज़ोर था। कई बार वह गिरा, कई बार उसे लगा कि यह असंभव है। लेकिन हर बार वह अपनी माँ की बात दोहराता, “एक और कोशिश, वीरू!”

घंटों की मेहनत के बाद, आखिरकार एक पत्थर हिला। फिर दूसरा, फिर तीसरा। धीरे-धीरे उसने गुफा का रास्ता खोल लिया। ताजी हवा और सूरज की रोशनी ने उसे नई ज़िंदगी दी। वह गुफा से बाहर निकला और जंगल के रास्ते अपने पुराने दोस्त, राजा प्रताप के राज्य की ओर चल पड़ा।

रास्ते में उसकी मुलाकात एक बूढ़े लकड़हारे से हुई। वीरेंद्र ने अपनी कहानी सुनाई। लकड़हारा बोला, “राजन, तुमने गुफा में हार नहीं मानी, ये तुम्हारी सबसे बड़ी जीत है। अब जाओ, अपने दोस्त की मदद लो। हिम्मत कभी जवाब नहीं देती!”

वीरेंद्र ने लकड़हारे को धन्यवाद दिया और राजा प्रताप के महल पहुँचा।
“प्रताप, मेरे भाई!” वीरेंद्र ने गले लगाते हुए कहा। “मैं हार चुका हूँ, लेकिन मेरी आखिरी कोशिश बाकी है। क्या तुम मेरी मदद करोगे?”

“वीरेंद्र, तुम मेरे भाई हो!” राजा प्रताप ने गर्मजोशी से जवाब दिया। “तुमने हिम्मत नहीं हारी, ये तुम्हारी ताकत है। मेरी सेना तुम्हारे साथ है!”

राजा प्रताप ने अपनी सेना और संसाधन वीरेंद्र को दिए। वीरेंद्र ने नई रणनीति बनाई और अपने शत्रुओं के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। कई महीनों की मेहनत और साहस के बाद, उसने न सिर्फ़ अपने दुश्मनों को हराया, बल्कि अपना खोया हुआ राज्य भी वापस पा लिया।

जब वह अपने सिंहासन पर फिर से बैठा, तो उसने अपने सैनिकों और प्रजा को बुलाया। “मेरी जीत मेरी तलवार की नहीं, मेरी हिम्मत की है,” उसने गर्व से कहा। “जब मैं गुफा में फँसा था, तब मेरी माँ की एक बात ने मुझे बचाया—‘आखिरी साँस तक कोशिश कर!’ तुम सब भी कभी हार मत मानना। एक और कोशिश हमेशा करो!”

उस दिन के बाद, वीरेंद्र का राज्य न सिर्फ़ समृद्ध हुआ, बल्कि उसकी प्रजा ने भी सीख लिया कि मुश्किलों में हार मानने से पहले एक आखिरी कोशिश ज़रूर करनी चाहिए।

इस कहानी से सीख

  • हार न मानें, एक और कोशिश करें: जीवन में मुश्किलें कितनी भी बड़ी हों, आखिरी कोशिश करने से रास्ता निकल सकता है।

  • आत्म-प्रेरणा सबसे बड़ी ताकत है: मुश्किल वक्त में अपनी सोच और हिम्मत ही सबसे बड़ा सहारा होती है।

  • सही मदद मायने रखती है: सही समय पर सही लोगों की मदद आपकी जीत को सुनिश्चित कर सकती है।

  • इच्छाशक्ति चमत्कार कर सकती है: अगर मन में दृढ़ संकल्प हो, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

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