असली खुशी की खोज: एक प्रेरणादायक कहानी | Best Hindi Story

यह कहानी सक्षम नाम के एक लड़के की है, जो अपनी हीन भावना और शरारतों के कारण अपने सहपाठी अर्जुन को नीचा दिखाने की कोशिश करता है। वह बेईमानी से परीक्षा में पहला स्थान हासिल करता है

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असली खुशी की खोज: एक प्रेरणादायक कहानी | Best Hindi Story- : यह कहानी सक्षम नाम के एक लड़के की है, जो अपनी हीन भावना और शरारतों के कारण अपने सहपाठी अर्जुन को नीचा दिखाने की कोशिश करता है। वह बेईमानी से परीक्षा में पहला स्थान हासिल करता है, लेकिन अर्जुन की अच्छाई और सच्चाई उसे अपनी गलतियों का एहसास कराती है। सक्षम अपनी चीटिंग कबूल करता है और सजा स्वीकार करता है। अंत में, वह ईमानदारी का रास्ता अपनाता है और समझता है कि असली खुशी सच्चाई और मेहनत में ही छिपी है। यह प्रेरणादायक कहानी हमें सिखाती है कि बेईमानी की जीत क्षणिक होती है, जबकि सच्चाई की राह पर मिली खुशी स्थायी और सच्ची होती है।

कहानी: असली खुशी की खोज

सूरज की किरणें स्कूल की खिड़कियों से छनकर कक्षा में बिखर रही थीं। बारहवीं कक्षा का रिजल्ट घोषित होने वाला था, और सक्षम का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। टेबल पर उसकी मार्कशीट रखी थी, जिसमें हर विषय में सबसे ज्यादा अंक थे। लेकिन उसका चेहरा उदास था। वह खुशी, जो अच्छे नंबरों के साथ आनी चाहिए थी, कहीं गायब थी।

आखिर सक्षम के साथ ऐसा क्या हुआ था?

सक्षम और अर्जुन एक ही कक्षा में पढ़ते थे, लेकिन दोनों के स्वभाव में दिन-रात का अंतर था। अर्जुन शांत, मेहनती, और पढ़ाई में अव्वल था। हर सवाल का जवाब वह तुरंत दे देता था। दूसरी ओर, सक्षम को पढ़ाई से ज्यादा शरारतें सूझती थीं। उसे लगता था कि अर्जुन की मेहनत और समझदारी उसकी कमजोरी को उजागर करती थी। इसीलिए वह हमेशा अर्जुन को नीचा दिखाने की कोशिश में लगा रहता था।

“देख, अर्जुन फिर टॉपर बन गया!” सक्षम अपने दोस्त रवि से चिढ़कर बोला।
“तो तू भी पढ़ ले, भाई! हर बार अर्जुन को कोसने से क्या फायदा?” रवि ने हँसते हुए कहा।
“नहीं, इस बार मैं उसे सबक सिखाऊँगा,” सक्षम ने दाँत पीसते हुए जवाब दिया।

सक्षम का सारा ध्यान अर्जुन को पीछे छोड़ने पर था। वह उसकी कॉपी चुरा लेता, कभी उसका पेन गायब कर देता, तो कभी लंचबॉक्स में से खाना निकाल लेता। अर्जुन को परेशान देखकर उसे अजीब-सी खुशी मिलती थी। लेकिन इस सबका सबसे बुरा असर उसकी अपनी पढ़ाई पर पड़ रहा था।

एक दिन, लंच के समय अर्जुन कक्षा से बाहर गया। सक्षम ने मौका देखकर उसकी साइंस की कॉपी चुरा ली। उसने सोचा, “अब जब सर कॉपी चेक करेंगे, तो अर्जुन को डाँट पड़ेगी, और मैं हँसूँगा।”

वाकई, जब शिक्षक ने कॉपी माँगी, तो अर्जुन के पास कोई जवाब नहीं था।
“अर्जुन, तुम्हारी कॉपी कहाँ है? इतने लापरवाह कैसे हो गए?” सर ने गुस्से में पूछा।
“सर, मैंने तो कॉपी रखी थी... पता नहीं कहाँ गई,” अर्जुन ने उदास स्वर में कहा।
कक्षा के कोने में बैठा सक्षम चुपके-चुपके मुस्कुरा रहा था।

सक्षम की एक दोस्त थी, मेघा। वह सक्षम की हरकतों से परेशान थी। एक दिन उसने सक्षम को समझाने की कोशिश की।
“सक्षम, तू ऐसा क्यों करता है? अर्जुन ने तेरा क्या बिगाड़ा है? तू अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे, ये सब छोड़ दे,” मेघा ने गंभीरता से कहा।
“तुझे क्या? मुझे तो बस मजा आता है। अर्जुन को सब कुछ आसानी से मिल जाता है, मुझे नहीं!” सक्षम ने झुँझलाकर जवाब दिया।

मेघा ने बहुत कोशिश की, लेकिन सक्षम हीन भावना के दलदल में फँस चुका था। उसे लगता था कि वह कभी अर्जुन जितना अच्छा नहीं हो सकता। उसने कुछ उद्दंड लड़कों से दोस्ती कर ली, जो उसे और उकसाते थे।

परीक्षाएँ नजदीक आ रही थीं। सक्षम ने ठान लिया कि इस बार वह अर्जुन को टॉपर बनने से रोकेगा। तभी उसे अपने दोस्तों के जरिए एक खबर मिली। उन्होंने परीक्षा के पेपर चुरा लिए थे और सक्षम को दे दिए। सक्षम की आँखें चमक उठीं।
“अब तो मैं अव्वल आऊँगा!” उसने उत्साह में कहा।

परीक्षाएँ खत्म हुईं, और रिजल्ट का दिन आ गया। सक्षम ने कक्षा में पहला स्थान हासिल किया। उसने अर्जुन की ओर विजयी मुस्कान के साथ देखा।
“देखा, इस बार मैंने तुझे हरा दिया!” सक्षम ने मन ही मन सोचा।

लेकिन अर्जुन उदास होने के बावजूद सक्षम के पास आया।
“सक्षम, तुझे बहुत-बहुत बधाई! तूने कमाल कर दिया!” अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा और उसे गले लगा लिया।

सक्षम स्तब्ध रह गया। जिस लड़के को उसने हमेशा परेशान किया, वही आज उसकी जीत की खुशी मना रहा था। उसकी जीत की खुशी पलभर में गायब हो गई। उसे अपनी हरकतें याद आने लगीं—कॉपी चुराना, पेपर लीक करना, अर्जुन को नीचा दिखाने की कोशिशें।

“मैंने ये सब क्यों किया?” सक्षम ने खुद से सवाल किया। उसकी आँखें नम हो गईं।

उसी पल शिक्षक ने उसे बुलाया।
“सक्षम, तुमने तो कमाल कर दिया! कक्षा में पहला स्थान! बताओ, ये सफलता कैसे हासिल की?” सर ने गर्व से पूछा।

सक्षम का गला रुँध गया। वह ब्लैकबोर्ड के पास पहुँचा और धीमे स्वर में बोला,
“सर, ये फर्स्ट रैंक मेरा नहीं, अर्जुन का है। मैंने... मैंने चीटिंग की। पेपर पहले ही ले लिए थे। अर्जुन, मैं तुझसे माफी माँगता हूँ। तूने मुझे हमेशा अच्छा दोस्त माना, और मैंने तेरे साथ गलत किया। सर, आप मुझे जो सजा देना चाहें, दे सकते हैं।”

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यह कहते-कहते सक्षम की आँखों से आँसू बहने लगे। पूरी कक्षा में सन्नाटा छा गया। मेघा और अर्जुन तुरंत उसके पास आए और उसका हाथ थाम लिया।
“सक्षम, तूने सच बोलकर बहुत बड़ा काम किया है,” अर्जुन ने कहा।
“हाँ, सक्षम, गलती मान लेना आसान नहीं होता। तूने आज साबित कर दिया कि तेरा दिल बड़ा है,” मेघा ने हौसला बढ़ाया।

स्कूल प्रबंधन ने सक्षम की सच्चाई को सराहा। उसे दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया गया। इस बार सक्षम ने ईमानदारी से मेहनत की और पास हो गया। भले ही वह टॉपर न बना, लेकिन इस बार उसे जो खुशी मिली, वह बेईमानी की जीत से कहीं बड़ी थी।

एक दिन, स्कूल के बाद अर्जुन और सक्षम स्कूल के मैदान में बैठे थे।
“अर्जुन, तुझे कभी मुझसे गुस्सा नहीं आया?” सक्षम ने पूछा।
“गुस्सा क्यों? तू मेरा दोस्त है। मुझे बस यही उम्मीद थी कि तू एक दिन समझ जाएगा,” अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा।
“तू सही है, यार। असली खुशी तो सच्चाई में ही है,” सक्षम ने गहरी साँस लेते हुए कहा।

उस दिन से सक्षम बदल गया। उसने शरारतें छोड़ दीं और पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया। मेघा और अर्जुन के साथ उसकी दोस्ती और गहरी हो गई। उसे समझ आ चुका था कि असली खुशी बेईमानी की जीत में नहीं, बल्कि सच्चाई और मेहनत के रास्ते पर चलने में है।


इस कहानी से सीख

  • सच्चाई ही असली खुशी का रास्ता है: बेईमानी से मिली सफलता कभी स्थायी सुख नहीं दे सकती।

  • गलती मानना ताकत है: अपनी गलतियों को स्वीकार करना और सुधार करना एक बड़े दिल का सबूत है।

  • दोस्ती और अच्छाई की ताकत: सच्चे दोस्त और उनकी अच्छाई हमें सही रास्ते पर ला सकती है।

  • मेहनत का कोई विकल्प नहीं: मेहनत और ईमानदारी से मिली सफलता ही सच्ची जीत है। 

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