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बाल कहानी - किसी को धोखा नहीं देते:- एक ठाकुर ने एक बनिए से कुछ पैसे उधार लिए थे, लेकिन बार-बार कहने के बाद भी वो उधार चुकाने में असमर्थ था। एक दिन वो बनिया ठाकुर के घर चला गया और उससे पैसे मांगने लगा। ठाकुर के घर पर मेहमान आए हुए थे। उसे शर्म आने लगी। उसने दूसरे बनिए के घर पैसे के देने का वादा कर दिया,लेकिन असल में पैसे वापस करने का उसका कोई इरादा नहीं था, वो तो उस बनिए से बदला लेना चाहता था, क्योंकि उसने उसका अपमान किया था। ठाकुर ने बनिए को रास्ते में रोक दिया और अपनी तलवार निकालकर कहा,‘कोई नहीं है जो मेरा अपमान करके बच सके। बनिए को पहले से पता था कि ठाकुर ऐसा ही कुछ करेगा। इसलिए उसने अपनी पत्नी को एक खत लिखकर दे दिया है।
उस खत में लिखा है कि, अगर मैं रात तक घर वापस नहीं आता हूं तो समझ लेना कि उस ठाकुर ने मुझे नुकसान पहुंचाया है। यही नहीं हम दोनों के बीच में व्यापार का जो भी लेन देन हुआ है और उन पैसे को उगाहने के लिए मैंने क्या नहीं किया है, उस बारे में भी सब बातें लिखी हैं। वो ये खत लेकर राणा के पास चला जाएगा’। ठाकुर ने अपनी तलवार निकाली,वो बनिए पर बिल्कुल भरोसा नहीं करता है, वो जानता है कि बनिया बस धमकी ही दे रहा है। राणा हत्यारों के प्रति बहुत ही सख्त है।
ठाकुर ने कहा, मैं तुम्हें मार डालूंगा। लेकिन पहले तुम्हारी नाक काटूंगा। उसके बाद तुम्हें ऐसा सबक सीखाऊंगा जिसे तुम जिंदगी भर याद रखोगे। बनिए ने ठाकुर के सामने एक शर्त रखी। उसने कहा कि, अगर मैं तुम्हारा कर्ज माफ कर दूं तो क्या तुम मुझे छोड़ दोगे। ठाकुर ने कहा कि, हां लेकिन तुम पर भरोसा करना मुश्किल है। तु्हें मुझे लिख कर देना होगा। बनिए ने तुंरत अपने कागजात निकाले, तभी ठाकुर ने कहा कि, उन्हें एक गवाह की भी जरूरत होगी। लेकिन कोई गवाह ही नहीं मिल रहा था।
बनिए ने कहा कि, बगैर गवाह के ये रसीद बनाना बेकार है। तभी बनिए ने कहा कि, हम केले के पेड़ (बनाना ट्री) को गवाह बना सकते हैं। ठाकुर को ये सलाह अच्छी लगी क्योंकि पेड़ तो कुछ कह नहीं पाएगा कि कैसे हालातों में ये रसीद बनाई गई है। दोनों ने खड़े खड़े रसीद बना ली और ठाकूर खुश होकर घर चला गया।
दूसरे दिन ठाकुर को राणा का बुलावा आया,राणा ने पूछा कि तुमने बनिए से पैसे उधार लिए थे, ठाकुर ने कहा कि, हां लिए थे, लेकिन वापस कर भी दिए और मेरे पास रसीद भी है। हमने केले के पेड़ को गवाह बनाकर रसीद बनाई है। राणा ने कहा कि,तुम बनिए बनाना ट्री कहांे मिले, तभी ठाकुर घबरा गया और कहा मैं मैं... राणा ने रसीद को बेकार बताया और कहा कि, इसमें बनिए के हस्ताक्षर नहीं हैं। ठाकूर ने बगैर कुछ सुने बस राणा के हाथ से वो रसीद ली और उसे फाड़ दी। बेचारा ठाकुर हाथ मलता रह गया।
सीख:
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धोखा और छल से बचना चाहिए – ठाकुर ने बनिए को धोखा देने की कोशिश की, लेकिन आखिर में खुद फंस गया। किसी को छलने का नतीजा कभी अच्छा नहीं होता।
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कानूनी और सही तरीके से काम करना चाहिए – बनिए ने चालाकी और समझदारी से काम लिया, जिससे वह सुरक्षित रहा। वहीं, ठाकुर की गलत नीयत और लापरवाही उसे मुसीबत में डाल दी।
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झूठ ज्यादा देर तक नहीं टिकता – ठाकुर ने झूठ का सहारा लिया, लेकिन अंत में सच्चाई सामने आ ही गई। झूठ से बचना और सच्चाई के रास्ते पर चलना ही सही होता है।
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किसी को अपमानित करने से पहले सोचना चाहिए – ठाकुर ने अपमान का बदला लेने की कोशिश की, लेकिन उसका अहंकार ही उसकी हार की वजह बना। किसी को अपमानित करने से पहले यह सोचना जरूरी है कि इससे खुद को भी नुकसान हो सकता है।
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बुद्धि और समझदारी से हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है – बनिए ने अपनी चतुराई और सूझबूझ से खुद को बचा लिया। मुसीबत में घबराने के बजाय दिमाग से काम लेना चाहिए।
अंत में, यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें ईमानदारी से काम करना चाहिए और किसी को धोखा देने या अपमान करने से बचना चाहिए, क्योंकि अंत में न्याय और सच्चाई की ही जीत होती है।
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