शिक्षाप्रद कहानी: नेपोलियन की सेनाएं पूरे उत्साह से जीतती हुईं, आगे बढ़ती जा रही थीं। एक दिन उन सेनाओं ने फ्रांस के दक्षिण बंदरगाह ताउलन की घेरेबंदी कर ली, लड़ाई पूरे जोर पर थी। कहीं से गोलों के धमाके सुनाई पड़ते, तो कहीं से गोलियों की आवाजें। गोले गिरते और आकाश की ऊंचाई को छू जाने वाली धूल चारों तरफ फैल जाती। नेपोलियन और उसके सैनिक बंकरों में बैठकर मोर्चा लिए हुए थे। मोर्चे से सिर निकालना मुश्किल था। हर समय डर लगा रहता था, कहीं बंदूक की गोली या तोप का गोला आकर सिर न फोड़ दे। एक सुबह धमाकों की आवाज कुछ समय के लिए ठहरी। नेपोलियन मोर्चे से बाहर निकला। जोर से बोला, “कोई है, जो मेरे संदेश को लिख सके?” नेपोलियन की आवाज कई सैनिकों ने सुनी, लेकिन जान का खतरा महसूस कर रहे थे। कुछ देर बाद एक सैनिक बाहर निकला। सेल्यूट करके नेपोलियन के सामने खड़ा हो गया। पास बने एक मोर्चे की ऊँचाई की आड़ लेकर, नेपोलियन का संदेश लिखने लगा। तभी दुश्मन की तोप का एक गोला आया। गोला उनसे कुछ ही दूरी पर गिरकर फट गया। भाग्य की बात, दोनों बच गए। गोले के फटने से धूल का गुब्बारा उठा। गुब्बारे ने नेपोलियन और उस सैनिक को पूरी तरह ढक दिया। चौंकाने वाली बात थी। लेकिन सैनिक ने एक नजर नेपोलियन पर डाली। फिर धीरे से मुस्कराते हुए कहा, “महोदय जी, हमें दुश्मन को धन्यवाद देना चाहिए। अब इस पृष्ठ की स्याही सुखाने के लिए स्याही सोख की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।” सैनिक के निर्भीक कथन ने नेपोलियन का ध्यान खींचा। नेपोलियन ने पूछा: "बहादुर सैनिक, मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ?" नेपोलियन से ऐसी आशा सैनिक को नहीं थी। उसका चेहरा लाल हो गया। कुछ समय और बीता। वह काफी हाजिर जवाब था। तुरंत उत्तर दिया, "महानुभाव, आप मेरे लिए क्या नहीं कर सकते? मेरी कमीज की मुड़ी हुई इन बांहों के खालीपन की ओर देखिए। आप चाहें, तो ये खाली बांहे पट्टियों से सुसज्जित हो सकती हैं। यानी, आप मेरी तरक्की कर सकते हैं।" नेपोलियन ने एक नजर उस सैनिक पर डाली। फिर धीरे-से मुस्करा दिया। समय के बाद यह बात आई-गई हो गई, लेकिन नेपोलियन को उस जलाने वाले सैनिक की आवश्यकता पड़ी। उसे अचानक उसी सैनिक की याद आ गई। उसने उसे बुलाया और कहा, "बहादुर जवान, मैं तुम्हारी बहादुरी का जाया लेना चाहता हूँ। मैं तुम्हें एक विशेष काम सौंप रहा हूँ। यह बहुत महत्वपूर्ण है और बड़ा ही भयानक है। करोगे?" "आपका आदेश सिर आंखों पर। काम बताइए। विश्वास दिलाता हूँ, निराशा नहीं," सैनिक ने दृढ़ता से कहा। तुमको गुप्त रूप से दुश्मन के ठिकानों का पता लगाना है। यदि पकड़े गए, तो भंडाफोड़ तो होगा ही, हमारी हानि भी होगी। मेरी सलाह है, तुम वेश बदलकर दुश्मन की जासूसी करो। इससे पकड़े जाने का भय नहीं रहेगा," नेपोलियन ने कहा। सैनिक ने निर्भीकता से कहा, "महोदय, विश्वास मानिए। यहाँ की सूचनाएं वहाँ मिलेंगी। आदेश स्वीकार है। लेकिन, एक अनुरोध है। वेश बदलकर दुश्मन के इलाके में नहीं घुसूंगा। यह तो मेरी वर्दी का असम्मान है। इसी वर्दी में घुसूंगा, फिर चाहे पकड़ा ही क्यों न जाऊं।" "जैसी तुम्हारी मर्जी। मैंने तो सलाह दी है, आदेश नहीं," नेपोलियन ने कहा। वह बहादुर सैनिक शीघ्र अपने काम पर निकल पड़ा। भाग्य की बात, वह बिना किसी हानि के अपनी छावनी में वापस आ गया। सारी सूचनाएं भी ले आया। नेपोलियन उसकी बहादुरी से काफी प्रसन्न हो गया। उसने उसकी पदोन्नति कर दी। यह सैनिक था प्रसिद्ध जूनो, जो आगे जाकर अबच्लेंटेस का ड्यूक बना। कहानी से सीख: इस कहानी से यह सीख मिलती है कि साहस और आत्मविश्वास के साथ अपने कर्तव्यों को निभाना महत्वपूर्ण है। कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और निर्भीकता के साथ काम करना हमें सफलता की ओर ले जाता है। जब हम अपनी पहचान और वर्दी का सम्मान करते हैं, तो हम अपने लक्ष्यों को हासिल करने में सक्षम होते हैं। और बाल कहानी भी पढ़ें : पिता और बेटी की दिल छू लेने वाली कहानी: एक इमोशनल सफरबाल कहानी : हाथों का मूल्यकंजूसी और फिजूलखर्ची का महत्व: सही राह का चुनावप्रेरणादायक कहानी- सूरज को वापस कौन लाएगा