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जीवन का गणित: एक मजेदार कहानी - मस्तीपुर के राजा वीरेंद्र सिंह बड़े ही जिज्ञासु और दयालु स्वभाव के थे। हर सुबह वे अपने महल से अकेले सैर पर निकलते, ताकि अपने प्रजा की सुख-दुख की खबर ले सकें। एक दिन, सूरज की पहली किरण के साथ, राजा अपनी सैर पर निकले। रास्ते में उन्हें एक किसान दिखा, जो पसीने में तर-बतर अपने खेत में हल चला रहा था। उसकी मेहनत और लगन देखकर राजा का मन प्रभावित हुआ। उन्होंने पास जाकर पूछा, “भाई, तुम इतनी hard work के साथ खेत जोत रहे हो, दिन में कितना कमा लेते हो?”
किसान ने हल रोककर, माथे का पसीना पोंछते हुए जवाब दिया, “महाराज, एक सोने का सिक्का।” राजा ने उत्सुकता से पूछा, “उस एक सोने के सिक्के का तुम क्या करते हो?” किसान ने गहरी साँस लेते हुए कहा, “राजन! उसका life’s calculation कुछ इस तरह है: एक-चौथाई हिस्सा मैं खुद खाता हूँ, दूसरा-चौथाई हिस्सा उधार देता हूँ, तीसरा-चौथाई हिस्सा ब्याज चुकाने में लगता है, और बाकी चौथाई हिस्सा मैं कुएँ में डाल देता हूँ।”
राजा की उलझन और पहेली
राजा को किसान की बात समझ नहीं आई। उन्होंने भौंहें सिकोड़ते हुए कहा, “भाई, ये क्या puzzle बुझा रहे हो? साफ-साफ बताओ, ये कुआँ और ब्याज का क्या चक्कर है?” किसान ने मंद-मंद मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “महाराज, ये कोई पहेली नहीं, life’s mathematics है। पहले चौथाई हिस्से से मैं अपने और अपनी पत्नी का पेट पालता हूँ। दूसरे चौथाई हिस्से से अपने बच्चों को खिलाता-पिलाता और पढ़ाता-लिखाता हूँ, क्योंकि बुढ़ापे में वही मेरा सहारा बनेंगे। तीसरे चौथाई हिस्से से मैं अपने बूढ़े माँ-बाप की सेवा करता हूँ, क्योंकि उन्होंने मुझे जन्म दिया, पाला-पोसा, और बड़ा किया। मैं उनका debt of gratitude चुका रहा हूँ। और बाकी चौथाई हिस्सा मैं दान-पुण्य में लगाता हूँ, ताकि मृत्यु के बाद मेरा परलोक सुधरे।”
राजा किसान की wisdom और ईमानदारी पर मुग्ध हो गए। उन्होंने कहा, “तुम्हारा life’s calculation तो कमाल का है! तुमने एक सिक्के को चार गुना मूल्यवान बना दिया।” राजा ने किसान को एक थैली सोने के सिक्कों से भेंट की और बोले, “इसे अपने परिवार और दान-पुण्य में लगाना।” किसान ने सिर झुकाकर आभार व्यक्त किया और काम में जुट गया।
राजा का नया मिशन
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। राजा के मन में एक विचार कौंधा। उन्होंने सोचा, “अगर एक किसान इतनी simplicity और clarity के साथ जीवन का गणित समझ सकता है, तो मेरे राज्य के बाकी लोग भी इसे सीख सकते हैं।” राजा ने तुरंत अपने महल लौटकर सभा बुलाई। उन्होंने अपने मंत्रियों और विद्वानों को किसान की कहानी सुनाई और कहा, “हमें अपने राज्य में life’s mathematics को हर घर तक पहुँचाना होगा। लोग मेहनत तो करते हैं, लेकिन अपने कमाए धन का सही उपयोग नहीं जानते।”
मंत्रियों ने सुझाव दिया कि एक public awareness campaign शुरू किया जाए। राजा ने इस विचार को और विस्तार दिया। उन्होंने घोषणा की कि पूरे राज्य में “जीवन का गणित” नामक एक अभियान चलाया जाएगा, जिसमें हर गाँव में सभाएँ होंगी। इन सभाओं में किसान जैसे साधारण लोग अपनी life lessons और अनुभव साझा करेंगे। राजा ने उस किसान को भी बुलवाया और उसे अभियान का प्रमुख बनाया। किसान, जिसका नाम था रामू, थोड़ा झिझका, लेकिन राजा के आग्रह पर मान गया।
रामू की यात्रा और नई कहानियाँ
रामू ने पूरे राज्य की यात्रा शुरू की। हर गाँव में वह अपनी कहानी सुनाता और लोगों को समझाता कि hard work के साथ-साथ smart planning भी जरूरी है। एक गाँव में, एक युवक ने पूछा, “रामू भैया, अगर मेरे पास एक सिक्का भी नहीं है, तो मैं ये गणित कैसे लागू करूँ?” रामू ने मुस्कुराते हुए कहा, “भाई, सिक्का सिर्फ धन का प्रतीक है। तुम्हारी मेहनत, समय, और प्रेम भी तुम्हारी पूँजी हैं। अपने समय का एक हिस्सा खुद के लिए, एक हिस्सा परिवार के लिए, एक हिस्सा समाज की सेवा के लिए, और एक हिस्सा भविष्य के लिए लगाओ। यही true wealth है।”
रामू की बातें गाँव-गाँव में फैलने लगीं। लोग अब अपने संसाधनों का उपयोग wisely करने लगे। एक गाँव में, एक बुनकर ने अपनी कमाई का एक हिस्सा बच्चों की पढ़ाई में लगाया, तो दूसरे गाँव में एक कुम्हार ने अपनी मिट्टी के बर्तनों की बिक्री से कुछ धन गाँव के स्कूल के लिए दान किया। धीरे-धीरे, मस्तीपुर में खुशहाली बढ़ने लगी। लोग न सिर्फ मेहनत कर रहे थे, बल्कि अपने धन और समय का balanced distribution भी कर रहे थे।
राजा और रामू का अंतिम संवाद
कुछ महीनों बाद, राजा ने रामू को फिर से महल में बुलाया। उन्होंने पूछा, “रामू, तुमने मेरे राज्य को नया जीवन दिया। अब तुम्हें क्या चाहिए?” रामू ने विनम्रता से कहा, “महाराज, मुझे बस यही चाहिए कि लोग life’s mathematics को कभी न भूलें। अगर हर इंसान अपनी कमाई और समय का सही हिसाब रखे, तो कोई दुखी नहीं रहेगा।” राजा ने रामू को गले लगाया और उसे अपने सलाहकार मंडल में शामिल कर लिया।
कहानी की सीख
Life’s greatest lesson इस कहानी से मिलती है कि जीवन का गणित सिर्फ धन का हिसाब-किताब नहीं, बल्कि प्रेम, कर्तव्य, और सेवा का संतुलन है। अगर हम अपनी मेहनत और संसाधनों को wisely बाँटें—खुद के लिए, परिवार के लिए, समाज के लिए, और भविष्य के लिए—तो जीवन न सिर्फ सुखमय होगा, बल्कि अर्थपूर्ण भी बनेगा।
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