बच्चों की प्रेरक हिंदी कहानी: विचित्र परंपरा बहुत समय पहले की बात है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच स्थित घाटी में एक कबीला था। कबीले के व्यक्तियों का जीवन जंगल की लकड़ियों पर निर्भर था। वे लकड़ी की खूबसूरत मूर्ति बनाकर बाजार में बेच-आते थे। By Lotpot 09 May 2024 in Stories Motivational Stories New Update विचित्र परंपरा Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 बच्चों की प्रेरक हिंदी कहानी: विचित्र परंपरा:- बहुत समय पहले की बात है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच स्थित घाटी में एक कबीला था। कबीले के व्यक्तियों का जीवन जंगल की लकड़ियों पर निर्भर था। वे लकड़ी की खूबसूरत मूर्ति बनाकर बाजार में बेच-आते थे। इस कबीले की विशेषता यह थी कि इसमें कोई भी व्यक्ति वृद्ध नहीं था। सभी कबीले वाले जवान थे। कबीले का सरदार भी एक उन्नीस वर्षीय स्वस्थ युवक बलवंत सिंह था। (Motivational Stories | Stories) कबीले के अजीब नियम और विचित्र रिवाज थे। किसी भी युवक-युवती को वृद्ध होने पर कबीला छोड़ना पड़ता था। कबीले वासियों द्वारा बनाई गई इस परम्परा का कारण उनका स्तवत्रं तथा स्वच्छन्द जीवन का आनंद लेना था। किसी बुजुर्ग द्वारा बात-बात पर टोका-टाकी करना उन्हें पसंद नहीं था। इसीलिए बूढ़ा होते ही उनके परिजन उन्हें पहाड़ के दूसरी ओर बनी घाटी में छोड़ आते थे। इस घाटी में सभी वृद्ध थे तथा जंगली फलों पर निर्भर थे। कुछ कमजोर नि:सहाय तड़प-तड़प कर दम तोड़ देते थे। वे इसे बूढ़ी घाटी के नाम से पुकारते थे। कबीले के लोगों का जीवन मस्त था। सरदार का आदेश था। सरदार के आदेश तथा कबीले के कानूनों के अतिरिक्त उन पर कोई अंकुश नहीं था। इसी कबीले में राका नाम का युवक आजकल बहुत परेशान था। उसकी परेशानी का कारण उसकी माँ थी। ज़ो अब बूढ़ी हो चली थी। सरदार ने उसे एक हफ्ते के अंदर अपनी मां को बूढ़ी घाटी में छोड़ आने को कहा था। कल अंतिम दिन था। राका जब भी अपनी बूढ़ी बीमार मां के झुर्री भरे चेहरे को देखता, तो उसमें उसे अपने बचपन के दिन दिखाई देते। जब उसके लिए इस मां ने कितना कष्ट उठाया था। रात रात भर जागी थी। उसकी आंखे भर आती। बड़ा माँ के अनुभवों ने उसे अनेक मुश्किलों से बचाया था। (Motivational Stories | Stories) हर दुःख में मां ने उसका साथ दिया था और कल वह मां के कष्ट में साथ देने की बजाय उन्हें मौत के दलदल में छोड़ने जाएगा। यह सोचकर ही वह कांप उठता था। सरदार बलवंत सिंह द्वारा राका को दिया गया समय पूरा हो गया था परंतु राका अपनी मां को बूढ़ी घाटी में छोड़ने का साहस... सरदार बलवंत सिंह द्वारा राका को दिया गया समय पूरा हो गया था परंतु राका अपनी मां को बूढ़ी घाटी में छोड़ने का साहस नहीं जुटा पाया। सरदार ने उसे ढेरे में बुलवा लिया और उस बूढ़ी औरत को दूसरी घाटी में छोड़ आने को कहा, परन्तु राका ने साफ इंकार करते हुए कहा- "सरदार, उस बूढ़ी औरत ने मुझे जन्म दिया, पाला-पोसा, हर दुःख में मेरा साथ दिया। आज वह कमजोर निःसहाय है और मैं उसका सहारा हूं, तब मैं कैसे उसका साथ छोड़ सकता हूँ"। "मगर यह तो हमारे कबीले की पुरानी परंपरा है। एक तुम ही नहीं, हमने भी अपने मां बाप को वहां भेजा है"। सरदार ने समझाया। "सरदार मैं ऐसा नहीं कर सकता, मुझे क्षमा करो!" राका गिड़गिड़ाया। (Motivational Stories | Stories) "ठीक है, तुम नहीं जाते तो मैं स्वयं छोड़ आऊंगा। कबीले के इस कानून को तोड़ने के लिए तुम्हें पचास कोड़ों की सजा देते हैं। साथ ही तुम साल भर हमारे यहां गुलामी करोगे"। बलंवंत सिंह ने कहा और खुद राका की मां को छोड़ने के लिए चल दिया। राका की माँ के साथ बलवंत सिंह पहाड़ पर चढ़ रहा था। पहाड़ पर पहुंचकर वह काफी थक गया था। अत: आराम करने बैठ गया। उधर राका की बीमार मां गिरती पड़ती आ रही थी। बलवंत को जरा भी दया नहीं आई। उसे बैठे हुए अभी कुछ ही समय हुआ था कि अचानक एक सांप पास की झाड़ी से निकला और उसे डंस कर गायब हो गया। दर्द से सरदार तिलमिला गया तथा जमीन पर छटपटाने लगा। जैसे जैसे ज़हर शरीर में फैलकर अपना असर दिखा रहा था, वैसे-वैसे बलवंत सिंह की हालत बिगड़ती जा रही थी। राका की मां हांफती-हांफती ऊपर पहुंची तो उसने देखा कि सरदार छटपटा रहा था और उसका शरीर नीला पड़ता जा रहा था। तथा मुंह से झाग निकल रहा था। राका की मां ने तुरंत बलवंत के कपड़ों में खुसा चाकू निकाल कर सांप के काटे हुए स्थान को थोड़ा सा काटा और अपने मुंह से उसका खून चूसने लगी। इससे कुछ ही समय में बलवंत की हालत में सुधार आ गया। (Motivational Stories | Stories) और फिर राका की मां पहाड़ी पर उगे पेड़ों में कुछ खोजने लगी। फिर एक झाड़ी की पत्तियां तोड़ लाई और हाथ से मसल कर बलवंत के घाव पर लगा दी। अपनी धोती फाड़कर पट्टी कर दी। कुछ देर बाद बलवंत सामान्य स्थिति में आ गया। अब कैसी तबीयत है बेटा। राका की मां ने स्नेह से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा। "मां तुमने मुझे क्यों बचाया?" सरदार आंखों में आंसू भरकर बोला- "मैंने तुम्हारे बेटे को दण्ड दिया। तुम्हें भी मौत की घाटी में ले जा रहा हूं और तुम हो जो फिर भी....?" (Motivational Stories | Stories) "एक सरदार के रूप में वो तुम्हारा कर्तव्य था और एक इंसान की हैसियत से ये मेरा कर्तव्य था। फिर तुम भी तो मेरे बेटे जैसे हो। भला मां अपने बच्चों को कष्ट में कैसे देख सकती है"। "मुझे क्षमा कर दो मां। आज मेरी आंख खुल गई"। सरदार हाथ जोड़कर रूंधे स्वर में बोला- "हम हमेशा बुजुर्गों को बोझ समझते थे। यह हमारी भूल थी। बुजुर्गों के पास जिंदगी के बिताये वर्षों का अनुभव है जिसकी हमें आवश्यकता है। उनके अनुभव ही हमारे मार्ग दर्शक हैं"। सरदार बलवंत सिंह राका की मां को वापस ले आया। इसके बाद फिर कोई वृद्ध, बूढ़ों की घाटी में नहीं गया। बुजुर्ग अब उनकी धरोहर बन गए थे। (Motivational Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Best Hindi Bal kahani | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Bal Kahaniyan | hindi comics for kids | Hindi kahaniyan | Hindi Kahani | short stories for kids | kids short stories | kids hindi short stories | Short Motivational Stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Motivational Stories | kids hindi stories | kids motivational stories | Hindi Motivational Stories | hindi stories | hindi stories for kids | motivational kids stories | Kids Stories | Hindi Kids Stories | Kids Hindi Story | motivational stories for kids | Motivational Stories | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बाल कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | बच्चों की हिंदी कॉमिक्स | हिंदी प्रेरक कहानी | हिंदी कहानियाँ | बच्चों की प्रेरणादायक हिंदी कहानी | छोटी प्रेरक कहानी | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी | बच्चों की प्रेरक कहानी यह भी पढ़ें:- Motivational Story: माँ का प्रेम Motivational Story: प्राण की बाजी Motivational Story: ममता का जादू चींटी और टिड्डे की प्रेरक कहानी: काम ही पूजा है #Hindi Kahani #बाल कहानी #लोटपोट #हिंदी कहानी #Lotpot #Bal kahani #Hindi kahaniyan #Kids Hindi Story #Bal Kahaniyan #Motivational Stories #Hindi Kids Stories #Hindi Bal Kahani #Kids Stories #kids motivational stories #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Hindi Motivational Stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #हिंदी कहानियाँ #kids hindi stories #hindi stories for kids #छोटी कहानियाँ #छोटी कहानी #Short Motivational Stories #Kids Hindi Motivational Stories #Hindi Bal Kahaniyan #Best Hindi Bal kahani #बाल कहानियां #kids hindi short stories #लोटपोट ई-कॉमिक्स #हिंदी बाल कहानियाँ #motivational stories for kids #kids short stories #बच्चों की हिंदी कहानियाँ #hindi comics for kids #motivational kids stories #हिंदी प्रेरक कहानी #बच्चों की प्रेरक कहानी #छोटी प्रेरक कहानी #बच्चों की हिंदी कॉमिक्स #short stories for kids #बच्चों की प्रेरणादायक हिंदी कहानी #बच्चों की प्रेरक हिंदी कहानी You May Also like Read the Next Article