Motivational Story: ममता का जादू

छत्रपति शिवाजी एक कुशल शासक होने के साथ ही साथ अनुशासन प्रिय योद्धा भी थे। अपने किलों की सुरक्षा और सैनिक व्यवस्था के प्रति उनकी सजग दृष्टि रहती थी। उनके किलों में रायगढ़ का किला सबसे महत्वपूर्ण था। 

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ममता का जादू

Motivational Story ममता का जादू:- छत्रपति शिवाजी एक कुशल शासक होने के साथ ही साथ अनुशासन प्रिय योद्धा भी थे। अपने किलों की सुरक्षा और सैनिक व्यवस्था के प्रति उनकी सजग दृष्टि रहती थी। उनके किलों में रायगढ़ का किला सबसे महत्वपूर्ण था। 

उल्लेखित किले के पास ही हीरकणी नाम की एक ग्वालिन रहती थी। वह हर रोज़ दोपहर के बाद किले में दूध बेचने आती और शाम उतरने से पहले लौट जाती थी। (Motivational Stories | Stories)

एक दिन उसे दूध बेचने में देर हो गई। नियमानुसार किले के द्वार बंद हो गये। यह देखकर हीरकणी घबरा गई। उसने पहरेदारों से फाटक खोलने का अनुरोध किया। लेकिन उसकी प्रार्थना पर किसी ने ध्यान न दिया।

हीरकणी अब फूट फूटकर रो पड़ी घर पर मेरा बच्चा अकेला है। वह भूख से बिलबिला रहा होगा। मुझे घर जाने दो।

परन्तु पहरेदारों के कानों पर जूं न रेंगी। (Motivational Stories | Stories)

जब रोने गिड़गिड़ाने से भी कोई लाभ न हुआ, तो हीरकणी ने आँसू पोंछ डाले। वह किले से बाहर निकलने की तरकीबें सोचने लगी। उसने घूम घूम कर किले का मुआयना करना शुरू किया। इस क्रम में उसे एक ऐसी जगह दिखाई पड़ी जहाँ सपाट चट्टाने थीं। उधर से शत्रुओं के आक्रमण का भय नहीं था अतः वहाँ दीवार बनाई नहीं गई थी।

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हीरकणी ने उस रास्ते से बाहर निकलने की ठान ली। लेकिन, सपाट चट्टानों के सहारे नीचे उतरने या चढ़ने की कोशिश करने का मतलब था मौत को बुलावा देना। मगर, दूसरा चारा भी क्या था? (Motivational Stories | Stories)

पल -पल अँधेरा गहराता जा रहा था। दूर-दूर तक फैली चट्टानें खतरनाक लग रही थीं। 

हीरकणी हथेली पर गाल टिकाये उधर एक टक देखती रही। उसकी आँखों से आँसू टपक रहे थे...

हीरकणी हथेली पर गाल टिकाये उधर एक टक देखती रही। उसकी आँखों से आँसू टपक रहे थे। उसे अपने भूखे बच्चे की याद बुरी तरह सता रही थी।
आखिरकार हीरकणी ने मन में साहस का संचय किया। अगले ही क्षण वह कदम तोलती, चट्टानों से चिपकती हुई नीचे उतरने लगी। धीरे-धीरे वह किले की निचली दीवार पर आ पहुंची। (Motivational Stories | Stories)

लेकिन, यहाँ उसे एक और मुसीबत मुँह बाये खड़ी मिली। किले की पंद्रह-बीस फुट ऊँची निचली दीवार को पार करना था। उसके नीचे एक खाई थी, जिसमें पानी भरा हुआ था। लेकिन, पानी की मात्रा कहीं कम और कहीं अधिक थी। बुद्धिमान हीरकणी ने एक ऐसी जगह चुनी, जहाँ पानी कुछ ज्यादा था। अगले ही क्षण उसने छलांग लगा दी। तैरते हुए वह दूसरे किनारे जा पहुंची।

नियमानुसार दूसरे दिन जब हीरकणी दूध लेकर किले में पहुंची, तो उसे देखकर पहरेदारों की आँखें टंगी की टंगी रह गई। एक ने कड़कती हुई आवाज़ में पूछा, ‘‘तू तो किले में बंद पड़ी थी, फिर रात को बाहर कैसे निकली?’’ (Motivational Stories | Stories)

हीरकणी ने मुस्कुराकर सारा वृत्तांत कह सुनाया। लेकिन पहरेदारों को यकीन नहीं हुआ। कर्कश स्वर में बोले- ‘‘तू हमें बेकूफ समझती है? उस रास्ते से इंसान तो क्या, परिन्दे भी बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर सकते।’’

हीरकणी खिलखिला पड़ी तो फिर मैं बाहर कैसे निकली?’

पहरेदारों ने कहा- ‘अवश्य ही तू किसी गुप्तमार्ग से बाहर निकली होगी।’ (Motivational Stories | Stories)

हीरकणी ने दृढ़तापूर्वक कहा- यह तुम लोगों की गलत धारणा है। मैं सपाट चट्टानों की ओर से ही बाहर निकली थी।

उसकी बात पर पहरेदारों को रत्ती भर भी विश्वास न हुआ। वे गहरी सोच में डूब गये कि अगर किले में ऐसा कोई गुप्त मार्ग है, जिससे यह औरत बाहर निकल सकती है, तो उस गुप्त दरवाज़े से होकर शत्रु सैनिक अंदर भी तो आ सकते हैं।

‘सच-सच बता, किस रास्ते से तू बाहर निकली है, वर्ना तुझे जिन्दा जला डालेंगे। पहरेदारों ने धमकाते हुए कहा।

‘मैं झूठ नहीं बोल रही। हीरकणी गिड़गिड़ाती रही। (Motivational Stories | Stories)

पहरेदारों ने अब पैंतरा बदला। बोला- सुन, अगर तू हमें उस रास्ते का पता बता देगी तो तुझे मुँह माँगा इनाम दिया जायेगा।

लेकिन हीरकणी अपनी बात पर अड़ी रही।

उस समय वीर शिरोंमणि शिवाजी किले में ही थे। पहरेदार हीरकणी को पकड़कर छत्रपति के पास ले गये। सारा वृत्तांत सुनने के बाद महाराज ने कहा- ‘‘ग्वालिन, हमें वह स्थान दिखा दो, जहाँ से तुम बाहर निकलने में सफल हुई थी।’’ (Motivational Stories | Stories)

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‘मेरे साथ चलिए, अन्नदाता! हीरकणी ने विनम्रतापूर्वक कहा।’

अगले ही क्षण छत्रपति को साथ लेकर हीरकणी घटना स्थल पर पहुँची। उस भयानक स्थान पर पहुँची। उस भयानक स्थान को ध्यान से देखने के बाद शिवाजी ने पूछा- ’एक अबला स्त्री होकर यहाँ से बाहर कूदने का साहस तुझ में कैसे आया?’ (Motivational Stories | Stories)

हीरकणी की आँखों में चमक भर गई। उसने संयत स्वर में बोला- ’महाराज, मैं एक अबला नारी अवश्य हूँ। संतान की ममता ने मेरे शरीर में बाघिन की सी शक्ति और फुर्ती भर दी थी।’

इस उत्तर से शिवाजी मंत्रमुग्ध हो गये। उन्होंने हीरकणी को बहुत सा धन दिया। इतना ही नहीं, रायगढ़ किले के उस भाग का नाम ’हीरकणी बुर्ज’ रखा, जो आज भी माँ की ममता की गाथा सुना रहा है। (Motivational Stories | Stories)

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