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मेहनत का दांव
Motivational Story मेहनत का दांव:- रूस्तम अपने ज़माने का एक प्रसिद्ध पहलवान था, उसने हज़ारों कुश्तियां जीतीं, खूब नाम कमाया, लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था इसलिए कोई उसे पूछता नहीं था। एक दिन रुस्तम के सामने एक लड़का आ खड़ा हुआ, उसका एक ही हाथ था, वह रुस्तम से कह रहा था “मुझे आपसे कुश्ती सीखनी है”। (Motivational Stories | Stories)
“एक हाथ नहीं और कुश्ती लड़नी है? अजीब बात है”।
रुस्तम ने उस लड़के के एक हाथ को हैरानी से देखते हुए सोचा।
लड़का दृढ़ता से आगे बोला “लोग सताते हैं। टुंडा कहते हैं मुझे। हर किसी की दया की नज़र ने मेरा जीना हराम कर दिया है, मुझे अपनी हिम्मत पे जीना है। किसी की दया नहीं चाहिए। (Motivational Stories | Stories)
मैं यह सब सीखना चाहता हूँ पर कोई भी मुझे सिखाने को तैयार नहीं आप सिखाएंगे ना मुझे...
मैं यह सब सीखना चाहता हूँ पर कोई भी मुझे सिखाने को तैयार नहीं आप सिखाएंगे ना मुझे? कहते हुए वह लड़का झपट कर अपने एक हाथ से रुस्तम के पांवों से लिपट गय। रुस्तम ने कुछ देर तक अपनी पारखी निगाहों से उस लड़के को परखा, और फिर बोला- “ठीक है, कल सुबह अखाड़े में पहुँच जा, लेकिन बताए देता हूँ कुश्ती एक जानलेवा खेल है। एक हाथ से तुम्हारे लिए यह सब सीखना इतना आसान नहीं होगा”। (Motivational Stories | Stories)
“आपके सहयोग से मैं हर मुश्किल को आसान कर लूंगा” लड़के ने कहा।
अगले दिन जब चेला अखाड़े में पहुँचा तो रुस्तम इसकी योजना बना चुका था कि उस एक हाथ के लड़के को उसे कुश्ती में क्या और कैसे सिखाना है?
रुस्तम ने उसे एक ही दांव सिखाना शुरू कर दिया लड़का पूरी मेहनत से वह दांव सीखता। ‘लेकिन सिर्फ एक ही दांव!’ (Motivational Stories | Stories)
यह बात लड़के के मन को कई बार कचोटती थी लेकिन अपने उस्ताद पर पूरा भरोसा करते हुए उसने उस दांव की हर छोटी से छोटी बारीकी को अपने दिलो दिमाग में बिठा लिया।
जल्दी ही शहर में कुश्ती की प्रतियोगिता आयोजित की गई। बड़े-बड़े अखाड़े के चुने हुए पहलवान प्रतियोगिता में शिरकत करने आए।
पहली दो कुश्ती इस बिना हाथ के लड़के ने यूं जीत ली, फिर उसका मुकाबला एक बहुत बड़े पहलवान से हुआ वह पहलवान कुश्ती के सभी दावों में माहिर था। लेकिन एक हाथ के उस लड़के ने उसे कुछ ही देर में चित्त कर डाला। इस अविश्वसनीय कारनामे से लोगों के साथ-साथ वह लड़का भी हैरान था, सबसे बड़े पहलवान का ख़िताब लेने के बाद उसने अपने उस्ताद रुस्तम से पूछा- “मुझे सिर्फ एक ही दांव आता है। फिर भी मैं कैसे जीता?” (Motivational Stories | Stories)
पहली बात, तू ये दांव इतनी अच्छी तरह से सीख चुका था कि उसमें गलती होने की गुंजाइश ही नहीं थी। तुझे नींद में भी लड़ाता तब भी तू इस दांव में गलती नहीं करता। दूसरी बात जो ज्यादा महत्व रखती है। हर एक दांव का एक प्रतिदांव होता है! ऐसा कोई दांव नहीं है जिसका तोड़ ना हो। वैसे ही इस दांव का भी एक तोड़ था। तेरे वार का तोड़ तेरा प्रतिद्वंदी भी जानता था। पर वो कुछ नहीं कर सका। जानते हो क्यों? क्योंकि उस तोड़ में दांव देने वाले का दूसरा हाथ पकड़ना पड़ता है! और तेरा दूसरा हाथ है ही नहीं, तेरी यही कमी तेरी विशेषता बन गई जिसे तूने अपनी मेहनत से बनाया। तूने कर दिखाया है, मेहनत से कोई भी ऐसा कर सकता है। रूस्तम ने मुस्कुराते हुए अपने चेले से कहा और उसे अपने गले से लगा लिया। (Motivational Stories | Stories)
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