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भगवान की गोद
Motivational Story भगवान की गोद:- कुछ माह पूर्व मेरे एक मित्र ने शिकायत की, कि उसके पास प्रार्थना के लिए कोई समय ही नहीं बचता क्योंकि 3 घंटे तो उसके कार्यस्थल तक आने और जाने में ही बर्बाद हो जाते हैं और शेष समय उसका काम करते हुए गुजर जाता है। ‘‘तुम कार में जाते-जाते ही प्रार्थना क्यों नहीं कर लेते?’’ मैंने उससे कहा तो उसने बहुत हैरानी से मेरी तरफ देखा। (Motivational Stories | Stories)
‘‘जैसा मैंने कहा है वैसा करके देखो,’’ मैंने उससे कहा, ‘‘मैं तो ऐसा ही करता हूँ। जब मैं कार चला रहा होता हूँ तो साथ वाली खाली सीट पर भगवान खुद मेरे पास बैठे होते हैं और मैं उनके साथ बातें करता हूँ। मैं उन्हें हर बात बता देता हूँ, अपनी सभी समस्याएं और सभी खुशियां उनके सामने बयां कर देता हूँ। मैं अपने अच्छे दिनों के लिए उनका धन्यवाद करता हूँ और उनसे प्रार्थना करता हूँ कि जब भी मुझ पर बुरा वक्त आए, वह मेरे-संग रहें।
मुझे उम्मीद है कि मेरे दोस्त ने मेरी सलाह का अर्थ समझ लिया होगा। मेरे एक अन्य दोस्त ने इस प्रकरण के बारे में मुझे लिखकर भेजा जिसे पढ़कर मेरी आंखों में आंसू आ गए एक व्यक्ति की बेटी ने स्थानीय पंडित से निवेदन किया कि वह उनके घर आकर उनके पिता के पास बैठकर प्रार्थना करें। जब पंडित घर पहुँचा तो उसने देखा कि बीमार वृद्ध व्यक्ति बिस्तर में लेटा हुआ था और दो तकियों की सहायता से उसका सिर उंचा किया गया था। एक खाली कुर्सी उसके बिस्तर के पास रखी हुई थी। इसे देखकर पंडित को लगा कि उसके आने के बारे में शायद वृद्ध व्यक्ति को पहले सूचित कर दिया गया था। (Motivational Stories | Stories)
उसने कहा, ‘‘मेरा अनुमान है कि आप लोग मेरा इंतज़ार कर रहे थे।’’
‘‘नहीं, लेकिन तुम हो कौन?’’ लड़की के वृद्ध बीमार पिता ने कहा। पंडित ने अपना नाम बताया और फिर कहा, ‘‘मैंने आपके बिस्तर के पास खाली पड़ी कुर्सी देखकर यह अनुमान लगाया था कि आपको मेरे आने के बारे में सूचना थी।’’
‘‘अच्छा, इस कुर्सी की बात कर रहे हैं,’’ बीमार व्यक्ति ने कहा, ‘‘क्या आप दरवाज़ा बंद करने की मेहरबानी करेंगे?’’ (Motivational Stories | Stories)
यह बात सुनकर पंडित को कुछ हैरत हुई लेकिन फिर भी उसने दरवाज़ा बंद कर दिया और...
यह बात सुनकर पंडित को कुछ हैरत हुई लेकिन फिर भी उसने दरवाज़ा बंद कर दिया और बीमार व्यक्ति ने बात शुरू की ‘‘मैं आपको वह बात बताने जा रहा हूँ जो मैंने आज तक किसी को नहीं बताई, यहां तक कि अपनी बेटी को नहीं बताई। मुझे जिंदगी भर प्रार्थना करने का तरीका नहीं आया था और अचानक 4 वर्ष पूर्व मेरे सबसे घनिष्ठ मित्र ने मुझे कहा ‘अपने सामने एक खाली कुर्सी रख लो और पूरे विश्वास और श्रद्धा से यह मानो कि इस कुर्सी पर भगवान विराजमान हैं और फिर उनके साथ उसी तरीके से बातें करो जैसे इस पल हम दानों कर रहे हैं।’’ (Motivational Stories | Stories)
पंडित इस कहानी से बेहद प्रभावित हुआ और बीमार बूढ़े को प्रेरित किया कि परमात्मा के साथ वार्तालाप व अपना सफर इसी तरह जारी रखें। फिर उसने बीमार के साथ प्रार्थना की और लौट गया। दो दिनों के बाद उसकी बेटी ने पंडित को सूचित किया कि दोपहर के समय उसके पिता जी प्रभु चरणों में जा विराजे हैं। तो पंडित ने पूछा ‘‘क्या उनकी मृत्यु शांतिपूर्ण ढंग से हुई थी।?’’
‘‘हां, लेकिन उनकी मौत के बारे में एक चीज मुझे बहुत रहस्मयी लगी कि वह झुके हुए थे और उनका माथा बिस्तर के पास रखी कुर्सी पर टिका हुआ था। मुझे इस रहस्य की समझ नहीं आ रही, कृपया आप समझाने का कष्ट करें। यह बात सुनकर पंडित की आंखों में आंसू आ गए और कहने लगा ‘‘काश! हममें से हर कोई तुम्हारे पिता जी की तरह भगवान की गोद में अपना सिर टिका पाए...’’ (Motivational Stories | Stories)
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