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मेहनत का महत्व
Motivational Story मेहनत का महत्व:- शिमला के पास पालमपुर नाम का एक छोटा गांव था। उस गांव के लोग साधारण काम करने वाले लोग थे जो अपनी रोज़मर्रा के खर्चे को बहुत मुश्किल से कमाते थे।
रामलाल अपने बेटे भोला के लिए बहुत चिंतित था क्योंकि उसमें गंदी आदते थीं। एक दिन उसने कड़ा फैसला लेते हुए अपने बेटे को सुधारने का फैसला लिया, उसने कसम खाई कि वह भोला को उस दिन से एक रूपया भी नहीं देगा। (Motivational Stories | Stories)
अपने पिता के यह शब्द सुनकर भोला उदास हो गया, उसने सोचा कि यह दिन उसके लिए...
अपने पिता के यह शब्द सुनकर भोला उदास हो गया, उसने सोचा कि यह दिन उसके लिए अच्छा नहीं है। अगर उसने पैसे नहीं कमाए तो उसे रात का खाना खाने को नहीं मिलेगा। उसने सोचा, ‘मैं कहां जाऊं? मुझे अपनी मां से पचास रूपये लेने चाहिए और इस तरह से आज के दिन की समस्या सुलझ जाएगी।’
रामलाल समझ गया कि उसके बेटे ने पैसे कमाए नहीं है बल्कि उसने यह पैसे किसी से लिए है। इसलिए उसने अपने बेटे को वह पचास रूपए का नोट कुएं में फेंकने का आदेश दिया। भोला ने पैसे कुएं में डाल दिए।
इन सब हरकतों के बाद भी भोला ने अपने पिता के शब्दों को गंभीरता से नहीं लिया। वह दोबारा अपनी मां के पास गया और उसे जाकर सब बातें बताई और उससे पचास रूपए दोबारा मांगे। लेकिन इस बार उसकी मां ने उसे पैसे देने से मना कर दिया। फिर वह अपनी बहन के पास गया और उसने उसे पूरी कहानी सुनाई और उससे पैसे मांगे, बहन को अपने भाई पर तरस आ गया और उसने उसे पचास रूपए दे दिए। वह बहुत खुश हुआ और उसने जाकर पैसे अपने पिता को दे दिए। लेकिन उसके पिता ने दोबारा उसे पैसे कुएं में फेंकने के लिए कहा। उसने पैसे कुएं में गिरा दिए। रामलाल ने अपने बेटे से कड़क आवाज़ में कहा, ‘खुद जाकर पैसा कमाओ।’ दुखी बेटा दोबारा अपनी मां के पास गया लेकिन उसने मना कर दिया, फिर वह अपनी बहन के पास गया और उसने भी मना कर दिया। (Motivational Stories | Stories)
भोला घर से बाहर आया। वह बहुत उदास था और उसने सभी आशाएं छोड़ दी थी। वह सड़क किनारे जाकर बैठ गया और रोने लगा। वहां से गुजरते एक आदमी ने पूछा, ‘तुम रो क्यों रहे हो?’ भोला ने जवाब दिया, ‘मुझे तुरंत पचास रूपए चाहिए। मेरे पिता ने मुझे कहा है कि अगर मैं आज पचास रूपए नहीं लाया तो वह मुझे शाम का खाना नहीं देंगें’ सही कहा, तुम्हें काम करना ही पड़ेगा और पैसे कमाने पड़ेंगे। तुम्हें कोई बिना काम किए पैसे नहीं देगा। तुम रेलवे स्टेशन क्यों नहीं जाते, वहां जाकर मुसाफिरों का सामान उठाओ और तुम्हें पैसे मिल जाएंगे।’ फिर उस आदमी ने भोला को अपना सामान स्टेशन तक उठाने के लिए कहा और उसे बीस रूपए दिए। इस काम से भोला को प्रेरणा मिली, भोला ने रेलवे प्लेटफार्म पर बहुत से मुसाफिरों का सामान उठाया और शाम तक उसने तीस रूपए और कमा लिए। अब उसके पास पचास रूपए थे। वह तुरंत घर गया। (Motivational Stories | Stories)
जब वह घर गया तो उसने वह पैसे पिता को दिए। लेकिन उसके पिता ने उसे फिर पैसे कुएं में डालने के लिए कहा।
भोला बहुत खुश हुआ। उसका आत्मविश्वास बढ़ गया और उसने कहा, ‘मैं ज़िंदगी में मेहनत करूंगा और कभी पैसों की बर्बादी नहीं करूंगा। मैं एक अच्छा नागरिक बनने की कोशिश करूंगा।’ (Motivational Stories | Stories)
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