गौतम बुद्ध और नीरव का अनमोल उपहार एक धूप भरी दोपहर में, जब गौतम बुद्ध ने एक छोटे से गाँव का दौरा किया, तो गाँव के बच्चे खुशी से उनका स्वागत करने आए। हर बच्चे के हाथ में फूलों की माला थी। सभी बच्चे उन्हें माला पहना रहे थे, लेकिन नीरव कुछ अलग ही सोच रहा था। By Lotpot 23 Sep 2024 in Motivational Stories New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 कहानी: एक धूप भरी दोपहर में, जब गौतम बुद्ध ने एक छोटे से गाँव का दौरा किया, तो गाँव के बच्चे खुशी से उनका स्वागत करने आए। हर बच्चे के हाथ में फूलों की माला थी। सभी बच्चे उन्हें माला पहना रहे थे, लेकिन नीरव कुछ अलग ही सोच रहा था। उसके हाथ में कोई फूल नहीं था, उसके हाथ खाली थे। बच्चों की भीड़ के बीच से नीरव आगे बढ़ा और धीरे से बुद्ध के पास पहुंचा। उसकी आँखों में एक अनोखी चमक थी। वह बोला, "हे बुद्ध! मेरे पास आपके लिए फूल नहीं हैं, लेकिन मैं आपसे कुछ सिखना चाहता हूं। क्या आप मुझे कुछ सिखा सकते हैं?" बुद्ध ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "नीरव, तुमने मुझे जो उपहार दिया है, वह बहुत ही कीमती है। तुम्हारी जिज्ञासा और ज्ञान की इच्छा वास्तव में अनमोल है।" फिर बुद्ध ने नीरव को अपने पास बैठाया और उसे और सभी बच्चों को एक कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे एक छोटा बीज धीरे-धीरे बड़ा वृक्ष बनता है और कैसे हर छोटी शिक्षा जीवन में बड़ा महत्व रखती है। "जिस प्रकार यह बीज धीरे-धीरे अंकुरित होकर विशाल वृक्ष बनता है, उसी प्रकार ज्ञान का एक छोटा सा दाना भी तुम्हें विशाल ज्ञान की ओर ले जा सकता है," बुद्ध ने कहा। कहानी सुनकर, नीरव और अन्य बच्चे समझ गए कि ज्ञान ही सबसे बड़ा धन है और उसे प्राप्त करने के लिए कभी भी देरी नहीं करनी चाहिए। नीरव ने उस दिन के बाद से अपने आपको पढ़ाई और सीखने में लगा दिया। सीख: इस कहानी से बच्चों को यह सिखने को मिलता है कि सीखने की इच्छा और जिज्ञासा को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। ज्ञान ही वो कुंजी है जो हर दरवाजे को खोल सकती है और जीवन को सार्थक बना सकती है। और बाल कहानी भी पढ़ें : पिता और बेटी की दिल छू लेने वाली कहानी: एक इमोशनल सफरबाल कहानी : हाथों का मूल्यकंजूसी और फिजूलखर्ची का महत्व: सही राह का चुनावप्रेरणादायक कहानी- सूरज को वापस कौन लाएगा You May Also like Read the Next Article