माँ का आशीर्वाद: एक प्रेरणादायक कहानी
दिल्ली के एक बड़े शहर में रहने वाली एक युवा लड़की नेहा की कहानी है जो अपनी माँ के आशीर्वाद से अपने सपनों को साकार करने की राह पर चल पड़ती है। नेहा एक साधारण परिवार से थी, लेकिन उसके सपने बहुत बड़े थे।
दिल्ली के एक बड़े शहर में रहने वाली एक युवा लड़की नेहा की कहानी है जो अपनी माँ के आशीर्वाद से अपने सपनों को साकार करने की राह पर चल पड़ती है। नेहा एक साधारण परिवार से थी, लेकिन उसके सपने बहुत बड़े थे।
एक समय की बात है, भारत में एक गांव जिसका नाम "उदास" था, वह डल नदी के पास स्थित था। इस गांव में कोई भी हंसता नहीं था। यहां तक कि बच्चे भी कभी मुस्कुराते नहीं थे। वे केवल स्कूल जाते
आलस से दूर : परमहंस योगानंद जी के एक शिष्य थे, जो बेहद आलसी था। वे हर काम को टालते रहता और सोचता कि "कल कर लूंगा"। एक दिन, योगानंद जी ने उन्हें समझाया, "वत्स, आलस मनुष्य के लिए मृत्यु के समान है। इससे बचो, नहीं तो यह तुम्हारी आदत बन जाएगी!"
यमराज का न्याय: एक गाँव में दो गरीब किसान रहते थे। उनके पास ज्यादा जमीन नहीं थी, और जो थोड़ी-बहुत थी, उसमें भी फसल सीमित ही होती थी। उनके पूरे परिवार की आजीविका खेती पर निर्भर थी।
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में मोहन नाम का एक व्यक्ति रहता था, जिसे ध्यान और योग करने का बहुत शौक था। लेकिन एक समस्या थी – जब भी वह ध्यान करने बैठता, उसका मन इधर-उधर भागने लगता।
यह कहानी हमें सिखाती है कि दया और करुणा केवल दूसरों की मदद ही नहीं करतीं, बल्कि किसी न किसी रूप में हमें भी उसका फल मिलता है। किसी पर उपकार करने से हम कभी गरीब नहीं होते, बल्कि हमारी आत्मा और ज्यादा समृद्ध हो जा
एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए, घर घर जा कर सामान बेचा करता था। एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि, अब वह जिस भी द्वार पर जायेगा