दिव्यांगों के लिए वरदान: साउथ कोरिया ने बनाया आयरन मैन जैसा रोबोट

टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक और अनोखा आविष्कार हुआ है, जो दिव्यांगों के जीवन को पूरी तरह बदल सकता है। कोरिया एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (KAIST) के रिसर्चर्स ने 'WalkON Suit F1' नामक एक वियरेबल रोबोट बनाया है।

By Lotpot
New Update
Boon for the disabled South Korea created a robot like Iron Man
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक और अनोखा आविष्कार हुआ है, जो दिव्यांगों के जीवन को पूरी तरह बदल सकता है। कोरिया एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (KAIST) के रिसर्चर्स ने 'WalkON Suit F1' नामक एक वियरेबल रोबोट बनाया है। यह रोबोट न केवल दिव्यांगों को चलने में मदद करता है, बल्कि सीढ़ियां चढ़ने और अन्य कठिन कार्य करने में भी सक्षम बनाता है।

आयरन मैन से मिली प्रेरणा

KAIST टीम की सदस्य पार्क जियोंग-सू ने बताया कि इस रोबोट को डिज़ाइन करते समय उन्हें हॉलीवुड फिल्म आयरन मैन से प्रेरणा मिली। उन्होंने इसे दिव्यांगों की ज़िंदगी आसान बनाने के उद्देश्य से तैयार किया। यह रोबोट एक एल्यूमीनियम और टाइटेनियम संरचना से बना है और इसमें 12 इलेक्ट्रॉनिक मोटर्स हैं, जो ह्यूमन जॉइंट्स की तरह काम करते हैं। इसका वजन 50 किलोग्राम है और इसे पहनने वाले व्यक्ति को 3.2 किमी प्रति घंटे की गति से चलने में मदद करता है।

कैमरा और सेंसर तकनीक की खासियत

इस रोबोट के अगले हिस्से में एक कैमरा और उन्नत सेंसर लगे हैं, जो रास्ते में आने वाली बाधाओं का पता लगाते हैं और उपयोगकर्ता को संतुलित बनाए रखते हैं। सेंसर प्रति सेकंड 1000 सिग्नल्स प्रोसेस करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उपयोगकर्ता बिना किसी गिरावट के सुरक्षित रूप से आगे बढ़ सके।

साइबाथलॉन 2024 में गोल्ड मेडल

KAIST टीम के सदस्य किम सेउंग-ह्वान, जो खुद पैराप्लेजिक हैं, ने इस रोबोट को पहनकर साइबाथलॉन 2024 में एक्सोस्केलेटन कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने कहा कि यह रोबोट उनके जीवन के कई सपनों को साकार करने में मददगार साबित हुआ।

दिव्यांगों की ज़िंदगी में नई रोशनी

'WalkON Suit F1' उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है, जो व्हीलचेयर पर निर्भर हैं। यह रोबोट दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाता है और उनके जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है। साउथ कोरिया का यह आविष्कार न केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, बल्कि इंसानियत के प्रति सहानुभूति का भी उदाहरण है।

और पढ़ें : 

चालाक चिंटू ने मानी ग़लती | हिंदी कहानी

चेहरे को ठंड क्यों नहीं लगती?

Fun Story : मोहित का चतुराई भरा प्लान

आनंदपुर का साहसी हीरो