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ऐतिहासिक कदम- भारत अंतरिक्ष की दुनिया में एक नया अध्याय जोड़ने के लिए तैयार है। इस ऐतिहासिक मिशन के तहत, भारत जल्द ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए अपना पहला मानवयुक्त मिशन भेजेगा। इस मिशन में भारतीय वायुसेना के दो पायलटों को चुना गया है - शुभांशु शुक्ला और प्रशांत बालकृष्णन नायर। वे इस अंतरिक्ष यात्रा में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और अंतरिक्ष में वैज्ञानिक अनुसंधान करेंगे।
इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य भारतीय वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करना और अंतरिक्ष में भारत की क्षमताओं को साबित करना है। यह मिशन न केवल भारत के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की तकनीकी प्रगति का भी प्रतीक है। अंतरिक्ष यात्रा की तैयारी में पायलटों को कठोर प्रशिक्षण से गुजरना होगा, जिसमें शारीरिक, मानसिक और तकनीकी परीक्षण शामिल हैं।
यह मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई "गगनयान" परियोजना का एक हिस्सा है, जो भारत को अंतरिक्ष में एक आत्मनिर्भर और मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित करना चाहती है। इस योजना के तहत, भारत ने अंतरिक्ष में अपनी खुद की स्पेस स्टेशन बनाने का भी सपना देखा है। अगर यह मिशन सफल होता है, तो यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में एक मील का पत्थर साबित होगा और भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई ऊँचाइयों पर पहुँचाएगा।
इस मिशन से भारत न केवल तकनीकी प्रगति करेगा, बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भी नई ऊंचाइयों को छू सकेगा।
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