/lotpot/media/media_files/2025/01/14/ulqOZC75m0J8UUEzIlzc.jpg)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने महत्वाकांक्षी स्पैडेक्स मिशन के जरिए एक नया अध्याय लिखने के करीब है। इस मिशन में शामिल दोनों अंतरिक्ष यान पूरी तरह से सक्रिय और काम कर रहे हैं। इसरो ने हाल ही में बताया कि दोनों यानों को एक-दूसरे के बेहद करीब, मात्र 15 मीटर और फिर 3 मीटर की दूरी पर लाने का प्रयास किया गया। यह प्रक्रिया डॉकिंग तकनीक के परीक्षण का हिस्सा है।
इसरो ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए अपने अपडेट में बताया कि फिलहाल अंतरिक्ष यान 15 मीटर की ऊंचाई पर एक-दूसरे की तस्वीरें और वीडियो ले रहे हैं। मिशन का मुख्य उद्देश्य दोनों यानों को सुरक्षित दूरी पर रखते हुए डेटा इकट्ठा करना और डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करना है।
स्पैडेक्स मिशन: भारत की अंतरिक्ष यात्रा का मील का पत्थर
स्पैडेक्स मिशन के तहत, 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए दो उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया। रॉकेट ने दोनों यानों को एक ही कक्षा में स्थापित किया, जो भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों में एक और मील का पत्थर साबित हुआ।
इस तकनीक के जरिए भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन सकता है। यह तकनीक न केवल आगामी अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण होगी, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और भविष्य के चंद्र मिशनों जैसे अभियानों को भी मजबूत करेगी।
विशेष क्लब में शामिल होने की तैयारी
अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में सफलता भारत को विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल करेगी। यह तकनीक चंद्रमा पर आधारित मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और अन्य गहन अंतरिक्ष अभियानों के लिए अहम साबित होगी।
इसरो का यह प्रयास भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और उत्कृष्टता की दिशा में एक बड़ा कदम है। भारतवासियों के लिए यह गर्व का क्षण है, जो भारत को अंतरिक्ष के शिखर पर ले जाएगा।
और पढ़ें :
चालाक चिंटू ने मानी ग़लती | हिंदी कहानी