नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती पूरा देश मना रहा है

हर साल 23 जनवरी को भारत में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस साल, नेताजी की 128वीं जयंती पर, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने उनकी वीरता और बलिदान को श्रद्धांजलि दी।

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The entire country is celebrating the 128th birth anniversary of Netaji Subhash Chandra Bose.
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती - हर साल 23 जनवरी को भारत में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस साल, नेताजी की 128वीं जयंती पर, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने उनकी वीरता और बलिदान को श्रद्धांजलि दी।

नेताजी: साहस, संकल्प और आजादी की प्रेरणा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान हर भारतीय के लिए प्रेरणास्त्रोत है। आजादी के लिए उनका दृढ़ निश्चय और आजाद हिंद फौज का नेतृत्व भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में लिखा, “नेताजी का अदम्य साहस और दूरदृष्टि हमें आज भी प्रेरित करती है। हम उनके सपनों का भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

नेताजी के आदर्श आज भी प्रासंगिक
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन देशभक्ति, बलिदान और निर्भीकता का प्रतीक है। उनके द्वारा गठित आजाद हिंद फौज ने स्वतंत्रता संग्राम को नया मोड़ दिया। उनके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं और हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।”

नेताजी के विचारों की विरासत
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ जैसे नारों ने पूरे देश में क्रांति की लहर पैदा की। उनके विचार आज भी हमें राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करते हैं।”

नेताजी: सामाजिक न्याय और समावेशिता के प्रतीक
राहुल गांधी ने अपने संदेश में कहा, “नेताजी का नेतृत्व और समावेशिता के प्रति उनका समर्पण हर भारतीय को प्रेरित करता रहेगा। उनका जीवन साहस और सामाजिक न्याय का आदर्श है।”

गौरतलब है कि पराक्रम दिवस को नेताजी की 125वीं जयंती से मनाने की शुरुआत हुई थी। उनका जीवन देशभक्ति और आत्मनिर्भरता का जीता-जागता उदाहरण है।

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