रील्स का बढ़ता क्रेज: मनोरंजन या खतरे का कारण? आजकल सड़कों, पार्कों, मॉल्स और मंदिरों में हर जगह लोग रील्स बनाते हुए नजर आ रहे हैं। इस डिजिटल मनोरंजन का क्रेज बच्चों से लेकर बड़ों तक सबमें तेजी से बढ़ रहा है। प्रसिद्धि पाने की चाह में लोग रील्स बनाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं By Lotpot 08 Oct 2024 in Positive News New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 आजकल सड़कों, पार्कों, मॉल्स और मंदिरों में हर जगह लोग रील्स बनाते हुए नजर आ रहे हैं। इस डिजिटल मनोरंजन का क्रेज बच्चों से लेकर बड़ों तक सबमें तेजी से बढ़ रहा है। प्रसिद्धि पाने की चाह में लोग रील्स बनाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, लेकिन यह क्रेज कई बार जानलेवा भी साबित हो रहा है। हाल ही में एक बच्चे ने देसी कट्टे के साथ रील बनाते हुए अपनी जान गंवा दी, और एक लड़की रेलवे ट्रैक के पास रील बनाते वक्त ट्रेन की चपेट में आ गई। ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे समाज में चिंता भी बढ़ रही है। रील्स का यह बढ़ता आकर्षण केवल शारीरिक सुरक्षा ही नहीं, बल्कि बच्चों और युवाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहा है। अधिक स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों में मोटापा, आंखों की समस्याएं, और नींद की कमी जैसी परेशानियां देखने को मिल रही हैं। बच्चों का सामाजिक संपर्क भी कम हो रहा है, जो उनके भावनात्मक विकास को प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन देने से बचना चाहिए। इसके बजाय, केवल कीपैड वाले फोन दिए जाने चाहिए, ताकि वे स्मार्टफोन का जिम्मेदार उपयोग सीख सकें। बच्चों और युवाओं को चाहिए कि वे अपना समय रील्स बनाने में बर्बाद करने के बजाय किसी रचनात्मक गतिविधि में लगाएं, जैसे खेल-कूद, पढ़ाई, या नई स्किल्स सीखना। रील्स का अत्यधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, आत्मविश्वास की कमी और डिप्रेशन जैसी परेशानियों को बढ़ा सकता है। इसलिए, जितनी जल्दी इसे नियंत्रित किया जाए, उतना ही बेहतर होगा। यहाँ पढ़ें और Positive News स्पेस में छुट्टियाँ: अब सपना नहीं, हकीकत बनने के करीब!ड्रोन से आइसक्रीम की डिलीवरी: बच्चों के लिए मजेदार तकनीक!Positive News : मोटू-पतलू हमारा फेवरेट है -अधर्व, शुभ, ख़ुशी और देवीरील्स का बढ़ता क्रेज: बच्चों और युवाओं पर खतरनाक असर You May Also like Read the Next Article