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हाल ही में एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि महामारी के दौरान जन्मे बच्चों में ऑटिज्म का खतरा सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक नहीं है। यह अध्ययन माता-पिता और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए एक राहत की खबर है, जिन्होंने महामारी के दौरान जन्मे बच्चों के विकास को लेकर चिंताएं व्यक्त की थीं।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उन बच्चों की स्वास्थ्य जानकारी का विश्लेषण किया, जो COVID-19 महामारी के दौरान पैदा हुए थे। शोध के परिणामों के अनुसार, इन बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) का विकास अन्य बच्चों की तुलना में समान दर पर हुआ है। यह निष्कर्ष इस बात को स्पष्ट करता है कि महामारी के प्रभाव के कारण बच्चों में ऑटिज्म का खतरा नहीं बढ़ा है, जैसा कि पहले आशंका जताई गई थी।
इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता, डॉ. मोर्गन फायरस्टीन ने कहा, "हमने देखा कि महामारी के दौरान जन्मे बच्चों में सकारात्मक ऑटिज्म स्क्रीनिंग दरें सामान्य बच्चों की दरों के समान थीं। यह निष्कर्ष उन माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण है जो महामारी के समय में चिंता में रहे।"
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में विभिन्न कारकों का ध्यान रखा, जैसे माता-पिता की उम्र, गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य स्थितियाँ और जन्म के समय की परिस्थितियाँ। इन सभी कारकों का ऑटिज्म के विकास पर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन अध्ययन ने यह साबित कर दिया कि महामारी का प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा।
पिछले कुछ वर्षों में, कई अध्ययनों ने यह संकेत दिया था कि महामारी के दौरान बढ़े हुए तनाव और सामाजिक अलगाव का बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन इस नए अध्ययन ने इस धारणा को चुनौती दी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि महामारी के दौरान पैदा हुए बच्चों में ऑटिज्म का कोई विशेष जोखिम नहीं है।
अध्ययन के निष्कर्ष यह भी दर्शाते हैं कि माता-पिता को अपने बच्चों के विकास के बारे में चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि बच्चों को उनकी विकासात्मक जरूरतों के अनुसार समर्थन और सहायता मिलनी चाहिए, और अगर माता-पिता को किसी भी प्रकार की चिंता हो, तो उन्हें अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
यह अध्ययन माता-पिता और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए एक सकारात्मक संकेत है कि महामारी का प्रभाव बच्चों के विकास पर बहुत कम था। यह परिणाम इस बात को दर्शाता है कि बच्चों को अब पहले से अधिक ध्यान और समर्थन की आवश्यकता है, ताकि वे एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सकें।
इस प्रकार, इस अध्ययन ने साबित कर दिया है कि महामारी के दौरान जन्मे बच्चों में ऑटिज्म का खतरा सामान्य बच्चों के समान है, जिससे सभी को एक नई उम्मीद मिली है।