बाल कविता: आँखें

By Lotpot
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आँखें

पूसी की भूरी-भूरी,
हिरनी की है चमकीली आँखें।


बात बात में दादी जी की,
हो जाती हैं गीली आँखें।


पापा जब गुस्से में होते,
लाल लाल हो जाती आँखें।


गलत काम हो जाए अगर तो,
जाने क्यों शरमातीं आँखें।


खूब खुशी में या गम में,
मोती सा जल बरसाती आँखें।


काम नहीं करना ऐसा,
जिससे तेरी झुक जाए आँखें।

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