बाल कविता: मेरी रेल

By Lotpot
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Train in mountains

मेरी रेल

छूटी मेरी रेल
रे बाबू छूटी मेरी रेल।


हट जाओ हट जाओ भैया
मैं न जानूं फिर कुछ भैया
टकरा जाये रेल।

इंजन इसका भारी भरकम
बढ़ता जाता गमगम गमगम।
धमधम धमधम धमधम धमधम
करता ठेलम ठेल।

सुनो गार्ड ने दे दी सीटी
टिकट देखता फिरता टीटी।

सटी हुई वीटी से वीटी
करती पेलम पेल
छूटी मेरी रेल।

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