बाल कविता: गर्मी आई By Lotpot 13 Oct 2023 in Poem New Update गर्मी आई ठंडी हवा लगे सुखदाई,गर्मी आई।गर्मी में है एक सहारा, ठंडा पानी कितना प्यारा,शीतल छाया मन को भाई,गर्मी आई।आकुल तन से बहे पसीना,शुरू हो गया खाना पीना,लस्सी कुल्फी और मलाई,गर्मी आई।देखा खुली मिठाई रखी,झट आ गई हज़ारों मक्खी,ऊब गया कल्लू हलवाई,गर्मी आई।कानों के समीप आ मच्छरछेड़ रहा है सरगम के स्वरबजा बजाकर शहनाईगर्मी आई।ऐसी कवितायें पढ़ें:बाल कविता: तारेबाल कविता: हाथी भैयाबाल कविता : चुहिया रानीटी.वी. #बच्चों के लिए # kids poem #manoranjak baal kavita #बच्चों की कविता #बच्चों की मनोरंजक कविता #बाल कविता #bal kavita #bachchon ki kavita You May Also like Read the Next Article