Poem धरती का आँगन इठलाता यह कविता धरती के अद्भुत सौंदर्य और उसके असीमित वैभव का गुणगान करती है। इसमें शस्य-श्यामला भूमि, स्वर्णिम फसलें, और वैभवशाली अंचल को श्रद्धांजलि दी गई है। कवि मानव और धरती के चिरकालिक संबंधों को दर्शाते हुए संदेश देता है By Lotpot 13 Jan 2025