बनें नेक इन्सान
सबके भाग्य विधाता, हमको इतना दो वरदान,
पढ़-लिखकर के इस दुनिया में,
बनें नेक इन्सान।
जड़-चेतन में वास तुम्हारा सब में तेज समाया है,
जिस पर दया वही समझ फिर पाया है,
ज्ञान-ध्यान कुछ भी नहीं जाने, बालक हम नादान,
पढ़-लिखकर के इस दुनिया में,
बने नेक इन्सान।
चाहे सुख-दु:ख आएं कितने अथवा घोर अन्धेरा हो,
ज्ञान का दीप जला देना प्रभु मन में नित्य सवेरा हो,
अपने पथ पर बढ़ते जाएं, अंधेरों पर मुस्काएं,
पढ़-लिखकर के इस दुनिया में,
बने नेक इन्सान।
छोटे-छोटे हैं सब बालक विनती हम तुमसे करते,
करूण पुकार सुनो हे स्वामी! त्रिविधी ताप सारे हरते,
शरणागत् प्रभु जो भी आता, करते आप समाधान,
पढ़-लिखकर के इस दुनिया में,
बनें नेक इन्सान।
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