Bal Kavita: पांच उंगलियां

By Lotpot
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पांच उंगलियां

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पांच उंगलियां

अलग-अलग ये पांच उंगलियां,

जैसे अलग मटर की फलियां। 

 

लेकिन इनकी अलग बात है,

सबसे ये कह रहा हाथ है। 

 

हम कुछ पकड़े याकि उठाएं,

सभी एकजुट चट हो जाएं। 

 

भिन्न-भिन्न पर जो अभिन्न है,

वो तो रहते नहीं खिन्न हैं।

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