Bal Kavita: कंजूस का सपना

By Lotpot
New Update
Man shouting on Bed

कंजूस का सपना

एक दिवस कंजूस मियां।
को सपना आया।।

सपने में एक पाव।
इकट्ठा दूध मंगाया।।

फिर उसमें कुछ चावल।
डाले, खीर बनाई।।

बड़े प्रेम से उसने।
थाली बीच सजाई।।

फिर वह बैठा बड़े।
मजे से उसको खाने।।

चाट-चाट कर होंठ।
लगा वह स्वाद लगाने।।

खुली आंख इतने में।
और वह सपना दूटा।।

चीख पड़ा वह हाय।
किसी ने मुझको लूटा।।

 lotpot-e-comics | Hindi Bal Kavita | manoranjak-bal-kavita | लोटपोट | hindii-baal-kvitaa | baal-kvitaa

यह भी पढ़ें:-

Bal Kavita: गाय

Bal Kavita: सरपंच महोदय

Bal Kavita: लिटिल मास्टर

Bal Kavita: विजय दिवस की कविता