Bal Kavita: विजय दिवस की कविता By Lotpot 11 Nov 2023 in Poem New Update विजय दिवस की कविता विजय सत्य की हुई हमेशा,हारी सदा बुराई है। आया पर्व दशहरा कहता,करना सदा भलाई है। रावण था दंभी अभिमानी,उसने छल -बल दिखलाया। बीस भुजा दस सीस कटाये,अपना कुनबा मरवाया। अपनी ही करनी से लंका,सोने की जलवाई है। मन में कोई कहीं बुराई,रावण जैसी नहीं पले। और अँधेरी वाली चादर,उजियारे को नहीं छले। जिसने भी अभिमान किया है,उसने मुँह की खायी है। आज सभी की यही सोच है,मेल -जोल खुशहाली हो। अंधकार मिट जाए सारा,घर घर में दिवाली हो। मिली बड़ाई सदा उसी को,जिसने की अच्छाई है। lotpot-latest-issue | hindi-kavita | manoranjak-bal-kavita | लोटपोट | lottpott-kvitaa | bccon-kii-mnornjk-kvitaa यह भी पढ़ें:- Bal Kavita: दिवाली आयी बाल कविता: माँ की ममता बाल कविता : चुहिया रानी बाल कविता: मेरी रेल #लोटपोट #Lotpot #Lotpot latest Issue #बच्चों की मनोरंजक कविता #bal kavita #hindi kavita #manoranjak bal kavita #लोटपोट कविता #poem You May Also like Read the Next Article