Bal Kavita: मातृभाषा हिंदी

By Lotpot
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मातृभाषा हिंदी

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मातृभाषा हिंदी

भनभावों को व्यक्त कर सके,
स्वभाषी परभाषी भी।

परभावों को सही समझ ले,
स्वभाषी परभाषी भी।

ऐसी भाषा सौम्य, सरल हो भाव,
व्यक्त कर दे पूरे।

गूढ़ कठिन शब्दों के जाल में मन,
कुण्ठा से न घेरे।

स्वर, अक्षर, व्यंजनमाला से, 
जो भाषा हो पूर्ण सशक्‍त।

जो अंकित हो, वही उच्चारे,
शब्द भाव हो पूरे व्यक्त।

ऐसी भाषा जो अनपढ़ भी समझ सके,
वो हिंदी है।

मधुर सलोनी, निरछल, निर्मल, 
नद प्रवाह सी हिंदी है।

माता के आंचल की छांव सी,
करूणामयी मातृभाषा।

तूझको शत्‌-शत्‌ नमस्कार, 
ओ मेरी गर्वमयी भाषा।

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