Bal Kavita: मातृभाषा हिंदी By Lotpot 28 Mar 2024 in Poem New Update मातृभाषा हिंदी Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 मातृभाषा हिंदी भनभावों को व्यक्त कर सके,स्वभाषी परभाषी भी। परभावों को सही समझ ले,स्वभाषी परभाषी भी। ऐसी भाषा सौम्य, सरल हो भाव,व्यक्त कर दे पूरे। गूढ़ कठिन शब्दों के जाल में मन,कुण्ठा से न घेरे। स्वर, अक्षर, व्यंजनमाला से, जो भाषा हो पूर्ण सशक्त। जो अंकित हो, वही उच्चारे,शब्द भाव हो पूरे व्यक्त। ऐसी भाषा जो अनपढ़ भी समझ सके,वो हिंदी है। मधुर सलोनी, निरछल, निर्मल, नद प्रवाह सी हिंदी है। माता के आंचल की छांव सी,करूणामयी मातृभाषा। तूझको शत्-शत् नमस्कार, ओ मेरी गर्वमयी भाषा। lotpot | lotpot E-Comics | Bal Kavitayen | hindi bal kavitayen | Hindi Bal Kavita | manoranjak bal kavita | bal kavita | kids hindi poems | kids poems | hindi poems for kids | Hindi Poems | kids hindi rhymes | hindi rhymes | Hindi Rhymes for kids | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कवितायें | हिंदी बाल कवितायें | हिंदी बाल कविता | बाल कविता | हिंदी कवितायें | हिंदी कविता | बच्चों की कविता यह भी पढ़ें:- Bal Kavita: प्रेम रंग होली Bal Kavita: छुटकु राम Bal Kavita: खुश हो जाते बंदर जी Bal Kavita: भालू हुआ वकील #लोटपोट #Lotpot #बच्चों की कविता #बाल कविता #bal kavita #manoranjak bal kavita #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कविता #Hindi Bal Kavita #hindi rhymes #Hindi Rhymes for kids #हिंदी कविता #kids hindi rhymes #kids hindi poems #Bal Kavitayen #लोटपोट ई-कॉमिक्स #hindi bal kavitayen #Hindi Poems #हिंदी कवितायें #बाल कवितायें #हिंदी बाल कवितायें #kids poems #hindi poems for kids You May Also like Read the Next Article