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भालू हुआ वकील
भालू हुआ वकील
कानून की किताब पढ़कर,
भालू हुआ वकील।
फरटि से लम्बी-चौड़ी,
देने लगा दलील।
जैसे टहल रहा जंगल,
वैसे चला कचहरी।
रास्ते में ही लगी टोकने,
उसको ढीट गिलहरी।
बोली दादा पहले काला,
कोट सिलाकर आना।
तभी कचहरी जाकर तुम,
अपना कानून दिखाना।
भालू हँसा ठठाकर बोला,
तुझको क्या समझाऊं।
जनम लिया ही कोट पहनकर,
अब क्या कोट सिलाऊं।
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