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सागर महिमा
सागर महिमा
सागर की ऊंची लहरों में,
है अनंत व्यापक विस्तार।
खारे जल के भोतर ही,
बसा हुआ पूरा संसार।
सागर की छाती पर दौड़े,
कई मंजिलों वाले यान।
देशों को आपस में जोड़े,
सागर महिमा बड़ी महान।
यहाँ वनस्पति और खनिज का,
छिपा हुआ विपुल भण्डार है।
सागर की है सृष्टि निराली,
इसकी राह अपार है।
रोजी, रोटी मछुआरों को,
सागर देता पालक बनकर।
मोती वाले गोता खोर,
बैठे जब नीले जल अंदर।
सागर से मीठा जल पाकर,
काले मेघ उमड़ते है।
हरा भरा धरती को रखते,
बनकर हृदय धड़कते हैं।
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