बाल कविता : हाथी का गुस्सा

इस कविता में एक मजेदार कहानी है एक बड़े हाथी और होटल के एक छोटे वेटर की। हाथी बड़े शौक से होटल में चाय पीने आता है, और उसकी उम्मीद होती है कि उसे अच्छी-सी चाय मिलेगी। जैसे ही हाथी चाय का ऑर्डर देता है

By Lotpot
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बाल कविता : हाथी का गुस्सा: - इस कविता में एक मजेदार कहानी है एक बड़े हाथी और होटल के एक छोटे वेटर की। हाथी बड़े शौक से होटल में चाय पीने आता है, और उसकी उम्मीद होती है कि उसे अच्छी-सी चाय मिलेगी। जैसे ही हाथी चाय का ऑर्डर देता है, वेटर एक छोटा सा कप लेकर आता है। हाथी यह देख कर चौंक जाता है और गुस्से में आ जाता है। उसे चाय कम लगती है और उसे लगता है कि चीनी और दूध भी ठीक से नहीं मिला।

गुस्से में हाथी अपनी सूँड से फव्वारे की तरह चाय उछाल देता है, जिससे बिचारा वेटर पूरी तरह भीग जाता है। बेरा सिर पकड़े दूर भागता है, और हाथी हंसते हुए कहता है कि ऐसी चाय कौन पी सकता है! इस मजेदार घटना से बच्चों को हंसी भी आती है और एक सीख भी मिलती है।

हाथी जब होटल में आया,
वेटर ने उसे देख चौंकाया।
हाथी बोला, "लाओ चाय,
थोड़ी ज्यादा लाना चाय?"

वेटर ने लाकर कप रखा,
हाथी ने गुस्से में माथा ठका।
चीनी कम, दूध भी थोड़ा,
हाथी ने फव्वारा छोड़ा!

चाय उछली दूर तलक,
वेटर भागा सिर पकड़।
हाथी हंसते हुए बोला,
ऐसी चाय कौन पिएगा भला!

सीख: कविता के अंत में यह संदेश मिलता है कि कभी-कभी छोटी-मोटी बातों पर गुस्सा नहीं करना चाहिए। हमें मिल-जुल कर रहना चाहिए और बातें प्यार से सुलझानी चाहिए। गुस्सा करने से हम खुद को और दूसरों को भी परेशानी में डाल सकते हैं। बच्चों के लिए यह एक रोचक और हास्यपूर्ण कहानी है, जो दोस्ती और शांति का महत्व बताती है।