बाल कविता : खुशियों का झूला "खुशियों का झूला" कविता बचपन की मासूमियत और खुशी का प्रतीक है। इसमें झूला झूलने की मस्ती और प्रकृति के संग-साथ का आनंद व्यक्त किया गया है। कविता हमें सिखाती है By Lotpot 22 Nov 2024 in Poem New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 "खुशियों का झूला" कविता बचपन की मासूमियत और खुशी का प्रतीक है। इसमें झूला झूलने की मस्ती और प्रकृति के संग-साथ का आनंद व्यक्त किया गया है। कविता हमें सिखाती है कि छोटी-छोटी खुशियां हमारे जीवन को रंगीन बनाती हैं। परिवार के संग बिताए गए ये पलों का जादू जीवनभर याद रहता है। यह कविता हमें जीवन की चिंताओं को भूलकर खुशियों में खो जाने का संदेश देती है। झूला झूलें हम बागों में,खुशबू भरी फिजाओं में। हवा संग बातें करते जाएं,खुशियों का गीत गुनगुनाएं। ऊंचे पेड़ों की डालों से,बंधा हमारा झूला है। सपनों का झोंका लहराता,मन मयूर-सा झूमा है। छोटे-छोटे पलों में देखो,खुशियों का संसार बसा। ये संसार हमें सबसे प्यारा, ये झूला में सबसे प्यारा। की हंसी, पापा का संग,इन पलों में प्यार बसा। बचपन की हर मस्ती प्यारी,हंसी के झूले हैं तिरछी सवारी। हवा संग गूंजी है खिलखिलाहट,दिल से निकली मीठी हंसी की आहट। चलो सब मिल झूला झूलें,दुनिया की फिक्रों को भूलें। खुशियों का झूला कभी न रुके,प्यार से हर दिल चमक उठे। ये कविता भी पढ़ें : सुन्दर कविता : मेरी प्यारी बड़ी दीदीकविता: चिंटू-मिंटू की मस्तीचूहे को बुखार की कवितासोनू की टॉफी: एक मीठी बाल कविता #कविता #bachchon ki hindi poem #bachon ki poem #bachon ki hindi poem #bachon ki hindi poems #Best hindi poems #Best hindi poems for kids You May Also like Read the Next Article