बच्चों की कविता चूहा -दोस्त बनोगे

बच्चों के लिए कविताएं पढ़ना और सुनना हमेशा से ही मज़ेदार अनुभव होता है। यह प्यारी कविता “घुस आया है घर में एक चूहा” छोटे बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए लिखी गई है।

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बच्चों की कविता चूहा- बच्चों के लिए कविताएं पढ़ना और सुनना हमेशा से ही मज़ेदार अनुभव होता है। यह प्यारी कविता “घुस आया है घर में एक चूहा” छोटे बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए लिखी गई है। कविता में एक नटखट चूहे की कहानी है, जो घर में आकर अलमारी और अखबार कुतरता है। कवि का अंदाज इतना सरल और मनोरंजक है कि बच्चे तुरंत चूहे के साथ दोस्ती करना चाहते हैं।

कविता में बताया गया है कि कैसे चूहा दौड़ता है, छुपता है और घर में धूम मचाता है। बच्चे पढ़ते-पढ़ते चूहे के पीछे भागने लगते हैं और उससे दोस्ती करने का सपना देखने लगते हैं। इस कविता के शब्द छोटे-छोटे और सरल हैं, ताकि बच्चे आसानी से पढ़ और समझ सकें।

अगर आप अपने बच्चे को दोस्ती और मासूमियत का एक प्यारा संदेश देना चाहते हैं, तो यह कविता बेहतरीन विकल्प है। इसमें शब्दों का तालमेल और भावनाओं की मिठास बच्चों को भाषा और कविता के प्रति आकर्षित करती है।

तो आज ही बच्चों के साथ इस कविता को पढ़ें, और उन्हें चूहे के साथ खेलने का मज़ा लेने दें।

दोस्त बनोगे  

घुस आया है घर में एक चूहा छोटा यार,  
कुतर रहा है कपड़े-लत्ते और बासी अख़बार।  

रात नज़र आया था मुझको अलमारी के नीचे,  
दौड़ पड़ा था उसे देखने मैं बस उसके पीछे।  

बड़ा छकाया उसने सच्ची, हांफ गया मैं थककर,  
जाने कहां छुपा बैठा है छोटू मियां दुबककर।  

दोस्त बनाकर संग तुम्हारे- खेलूंगा मैं खेल,  
आ जाओ न बाहर अब तुम कर लो मुझसे मेल।  

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