/lotpot/media/media_files/2024/10/24/meri-pustak-kavita-kahe-kahani-1.jpg)
Hindi Kavita : मेरी पुस्तक कहे कहानी : इस कविता में एक बच्ची अपनी प्रिय पुस्तक के बारे में बता रही है। वह पुस्तक को अपनी रंग-बिरंगी और सतरंगी दोस्त मानती है, जो उसे कहानियाँ सुनाती है, नए-पुराने किस्से बताती है और परीलोक की सैर कराती है। यह कभी उसे हँसाती है, तो कभी रुलाती है, लेकिन हमेशा उसे दुनिया की हर बात सिखाती है। पुस्तक ज्ञान का सागर है, जो न सिर्फ शिक्षा देती है बल्कि कल्पनाओं में उड़ने का भी अवसर देती है। यह बच्ची की सबसे अच्छी दोस्त और साथी है, जो हमेशा उसके साथ रहती है।
मेरी पुस्तक रंग-बिरंगी,
कहती कहानियाँ यह सतरंगी।
बातें नई-पुरानी बतलाती,
जैसे बोलें दादी-नानी।
परियों के लोक में ले जाए,
कभी-कभी हमें डराए।
कभी हँसाए, कभी रुलाए,
दुनिया की हर बात सिखाए।
ज्ञान का सागर है यह प्यारी,
हर पन्ने में छिपी है कहानी।
कभी इतिहास, कभी विज्ञान,
कभी परियों की अद्भुत उड़ान।
जब पढ़ती हूँ, खो जाती हूँ,
नए सपनों में बह जाती हूँ।
दुनिया के कोनों से जुड़ती,
नई-नई बातें मैं पढ़ती।
हर शब्द में सच्चाई बसी,
कभी कल्पना भी है हँसी।
मेरी यह सच्ची साथी है,
हर समय जो साथ खड़ी है।
बच्चों का यह सबसे प्यारा दोस्त,
जीवन में ज्ञान का सबसे अच्छा स्रोत।
हर पन्ने में अनगिनत रंग,
यह पुस्तक है मेरे जीवन का अंग।
यहाँ पढ़ें और Hindi Kavita :
Hindi Kavita : एक-एक कदम आगे बढ़ाओ
Hindi Kavita : आई पकौड़ी आई पकौड़ी
Hindi Kavita : चंदा मामा की रात
Hindi Kavita : चुहिया की खरीदारी