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निराली भोर
गांव नगर में डगर में,
चहल-पहल का शोर है।
बीती काली रात आ गई,
नई निराली भोर है।
हरियाली में उठती लहरें,
पुरवैया की चाल से।
मस्त हो रही फसल खेत की,
पानी पीकर ताल से।
फूलों कलियों के मुखड़े पर,
इन्द्रधनुष के रंग हैं।
सदा समय पर जग जाना,
सब खुशियों का भंडार है।