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बादल छाये
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बादल छाये
उमड़-उमड़ कर बादल छाये,
साथ छलकती गागर लाए।
गिरा दिया चुपके से पानी,
सुमन बगीचे में हर्षाये।
तितली के रंगों सी नैया,
डब्बू जी ने खेल दिखाये।
कूद-फांद मस्ती में अपनी,
मेंढक जी खुलकर टरयि।
आग उगलते सूरज दादा,
खड़े वहीं, पर नजर न आये।