हिंदी बाल कविता: बादल छाये कविता में बादलों के उमड़-घुमड़ करने और बारिश की खुशबूदार अनुभूति का वर्णन किया गया है। अंत में, सूरज दादा के आग उगलने के बावजूद उनकी अनुपस्थिति का उल्लेख किया गया है, जो इशारा करता है कि वे सामने होकर भी नहीं दिखाई देते हैं। By Lotpot 29 Jul 2024 in Poem New Update बादल छाये Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 बादल छाये उमड़-उमड़ कर बादल छाये,साथ छलकती गागर लाए। गिरा दिया चुपके से पानी,सुमन बगीचे में हर्षाये। तितली के रंगों सी नैया,डब्बू जी ने खेल दिखाये। कूद-फांद मस्ती में अपनी,मेंढक जी खुलकर टरयि। आग उगलते सूरज दादा,खड़े वहीं, पर नजर न आये। यह भी पढ़ें:- हिंदी बाल कविता: वीर योद्धा हिंदी बाल कविता: गर्मी आई हिंदी बाल कविता: गर्मी के दिन आये Bal Kavita: मेहनत व्यर्थ न होती #बादल पर कविता #हिंदी बाल कविता #hindi poem on clouds #kids hindi poem You May Also like Read the Next Article