हिंदी बाल कविता: गर्मी आई इस कविता में गर्मी के मौसम के आने से जुड़े विभिन्न अनुभवों का वर्णन किया गया है। जब गर्मी के दिन आते हैं तब आदमी को ठंडी हवा, शीतल छाया, ठंडा पानी और मिठाई के खाने का आनंद लेने का मौका मिलता है। By Lotpot 22 Jul 2024 in Poem New Update गर्मी आई Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 गर्मी आई ठंडी हवा, लगे सुखदाई,गर्मी आई, गर्मी आई। गर्मी में है एक सहारा,ठंडा पानी कितना प्यारा। शीतल छाया मन को भाईगर्मी आई, गर्मी आई। आकुल तन से बहे पसीना,शुरू हो गया खाना पीना। लस्सी कुल्फी और मलाई,गर्मी आई, गर्मी आई। देखा खुली मिठाई रखी,झट आ गई हज़ारों मक्खी। ऊब गया कल्लू हलवाई,गर्मी आई, गर्मी आई। कानों के समीप आ मच्छर,छेड़ रहा है सरगम के स्वर। बजा बजा करके शहनाई,गर्मी आई, गर्मी आई। यह भी पढ़ें:- हिंदी बाल कविता: हम नर्सरी के बच्चे हिंदी बाल कविता: बिल्ली रानी हिंदी बाल कविता: काशी की शाम Bal Kavita: कपड़े अच्छे सिलवा लें #hindi poem on summer #मनोरंजक हिंदी कविता #गर्मी पर कविता #Hindi Bal Kavita #entertaining hindi poem for kids #हिंदी बाल कविता You May Also like Read the Next Article