हिंदी बाल कविता: बिल्ली रानी

By Lotpot
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बिल्ली रानी

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बिल्ली रानी

बिल्ली रानी कहती फिरती,
शेर सिहं की में हूं मौसी।

कुल परिवार बहुत है ऊंचा,
जो न मानते हैं दोषी।

नस्ल देखकर खूब समझ लो,
यही कह रहा गीदड़ जोशी।

मान शान में मैं आगे हूं,
मैं खाती हूं रबड़ी रोटी।

चूहे घाटिया उन्हें न खाती,
कभी न करती किस्मत खोटी।

राजनीति में आना मुझको,
बिठा रही हूं अपनी गोटी।

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