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वीर योद्धा
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वीर योद्धा
पर्वत घाटी और समन्दर,
देख नहीं घबराता हूँ।
जब तक मंजिल हाथ ना आए,
आगे बढ़ता जाता हूँ।
बर्फीली चट्ठानो से भी,
मैं ना कभी घबराता हूँ।
सर्दी-गर्मी सारे मौसम,
हरदम सहता रहता हूँ।
जीवन की परवाह ना करता,
दुश्मन से टकराता हूँ।
अपने देश की रक्षा करके,
देश का मान बढ़ाता हूँ।