हिंदी बाल कविता: आजादी की वर्षगांठ

यह कविता भारत की आजादी की वर्षगांठ पर देशवासियों को एकजुटता और गर्व का संदेश देती है। कवि भारत को ऊँचाइयों तक पहुंचाने की कामना करता है, कविता में धार्मिक और जातीय भेदभाव को खत्म करने की अपील की गई है, ताकि देश के सभी नागरिक आगे बढ़ सकें।

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आजादी की वर्षगांठ

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आजादी की वर्षगांठ

हर एक आजादी की वर्षगांठ,
भारत के हक में पैगाम लाऐ।

भारत छु ले बुलन्दियों को,
उसके दामन में सितारे जगमगायें।

फिर ना कोई कोई मुगल जन्म ले,
न हो अंग्रेजों का जनम।

अपने इतिहास पर गर्व करें हम,
न करना पड़े हमें शरम।

न कोई हिन्दू, न कोई मुस्लिम,
हर कोई हो हिन्दुस्तानी।

एक मंच पर खड़े हों हम सब,
न हो कहीं कोई मनमानी।

अब न कहीं दरार पड़े,
न कोई फूट अब डाले।

कदम से कदम मिलाके,
चलेंगे हम मतवाले।

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