बच्चों की हिंदी कविता: रात

By Lotpot
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रात

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रात

संध्या ढलते उतरी रात,
नभ में तारे लाती रात।

कभी अंधेरा, कभी उजाला,
जग भर में फैलाती रात।

करते हम आराम, काम से,
फुर्सत हमें दिलाती रात।

मीठे सपनों की दुनिया में,
जी भर रोज घुमाती रात।

गहरे चिंतन के सागर में,
मुक्ता हमें दिखाती रात।

आशाओं से भरा सवेरा,
घर आंगन दे जाती रात।

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