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पर्यावरण
पर्यावरण
कटते पेड़, प्रदूषित नदियां,
काला धुआं, अस्लीय गैसें,
फटे प्लास्टिक, सड़ता कचरा,
बढ़ती गर्मी, घटती वर्षा,
दूषित वर्षा, दूषित वायु,
उद्योगों का अवशिष्ट, सभी कह रहे,
चीख-चीख कर, प्रगतिशील मानव से,
सोचो कुछ तो, कहो मत केवल,
करो कुछ तो, बचाओ हमें नष्ट होने से।
वरना अगली पीढ़ी, कोसेगी तुम्हें,
जहरीले वातावरण में वह जी तो लेगी,
परंतु घुट-घुट कर।
रोग पाल कर, दवाई खा कर,
निभाएगी बस, जीने की औपचारिकता।
इसलिए, सुनहरे कल के लिए,
आज कुछ करना होगा,
पर्यावरण को बचाना होगा।
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