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कविता: मोर का रंगीन नाच- यह कविता एक मोर के खूबसूरत और रंग-बिरंगे नाच को दर्शाती है। बारिश की बूंदें पड़ते ही मोर खुशी से झूम उठता है और अपनी पंखों की अद्भुत छटा फैलाता है। मोर का नृत्य प्रकृति के संगीत में लहराते हुए उसे राजा की उपाधि देता है। उसकी ऊंचाई, पंखों का फैलाव और रंगीन नृत्य सबको मंत्रमुग्ध कर देता है। कविता बच्चों को मोर की सुंदरता और प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य का अनुभव कराती है।
नीले-हरे पंखों का ताज सजाए,
मोर आता खुशी की धुन बजाए।
बारिश की बूंदें जैसे ही गिरती,
मोर की चपल चाल यूं खिलती।
घूम-घूम कर पंख फैलाता,
रंग-बिरंगे रंग बिखराता।
कोई उसे देख मुस्काए,
तो कोई उसके संग गाए।
आसमान को चूमे उसकी ऊंचाई,
मोर के नृत्य में सजी हो प्रकृति माई।
घने जंगल के बीच यूं इठलाए,
प्रकृति की रागिनी पर झूम जाए।
धरती के आँगन का राजा कहलाए,
मोर का नृत्य सबको भाए।
कभी खुशी से यूं मचल जाए,
कि सबकी आँखों का तारा बन जाए।