सीख देती कहानी : औकात की सीख

सीख देती कहानी : औकात की सीख – एक समय की बात है, एक शहर में एक लालची और अमीर सेठ रहता था। नाम था उसका धन्ना सेठ। अपनी विशाल संपत्ति के बावजूद, वो हमेशा अधिक पैसा कमाने के तरीके सोचा करता था और किसी भी चीज को बेचते और खरीददे समय दुकानदार से तोल मोल को लेकर बहुत बहस करता था। एक दिन, उसका ध्यान अपने पुराने सामान, कपड़े और कबाड़ की ओर गया, जो उसके भव्य हवेली के कबाड़खाने में पड़ा था।

किसी को दान में ना देकर उसने वो सामान कबाड़ी वाले को बेचने का फैसला किया, जो सड़कों पर घूमकर पुरानी वस्तुओं को खरीदता था।  सेठ ने एक दिन  एक कबाड़ी वाले को घर पर बुला भेजा। कबाड़ी वाला सेठ की भव्य हवेली में पहुंचा, जहां पुराने कपड़े, कबाड़ और छोटी-मोटी चीजें लेकर सेठ उसका इंतजार कर रहा था। जैसे ही बातचीत शुरू हुई, सेठ ने तोल मोल करना शुरू कर दिया। गरीब कबाड़ी वाले ने सेठ से ज्यादा बहस ना करते हुए सारा कबाड़ खरीद लिया और सेठ को पैसे देकर चलने लगा। सेठ को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसने सारे सामान खरीद लिए लेकिन देवी देवताओं की पुरानी पीतल की मूर्तियाँ और फोटो फ्रेम को छोड़ दिया। तुरंत सेठ ने आवाज लगा कर कबाड़ीवाले को बुलाया।

कबाड़ी वाला सर पर सामान उठाए वापस सेठ के पास आया। सेठ ने घुड़कते हुए पूछा, “क्यों रे, ये पीतल के कबाड़ छोड़ कर जा रहा है? इसकी कीमत तो तूने बताया ही नहीं?” कबाड़ी ने सर से कबाड़ की गठरी उतारी। झुक कर भगवान की मूर्तियों को उठाया और आदर से एक-एक मूर्ति और फ़ोटो को सर माथे पर लगाते हुए वापस  मेज पर रखते हुए सेठ से कहा , “सेठ जी, ये देवी देवताओं की मूर्तियों और तस्वीरों को बेचने की आपकी औकात हो सकती है लेकिन मेरी औकात नहीं है कि मैं इन्हे खरीद सकूँ।

Story that teaches: lesson of status

अगर मेरे पास कुबेर का धन भी आ जाए तब भी मेरी औकात नहीं होगी भगवान को खरीदने की।” यह कहते हुए कबाड़ी वाला चला गया और सेठ अवाक् होकर उसे जाते देखता रहा।

कबाड़ी वाले के शब्दों ने सेठ की आंखे खोल दी। उसे एहसास हुआ कि पैसे की लालसा ने उसे कितना अंधा बना दिया और वो भगवान की मूर्तियां बेचने चला था। उसे अपने लालच पर बहुत पछतावा हुआ। एक गरीब और ईमानदार कबाड़ी वाले ने उसे जीवन की बहुत बड़ी सीख दे दी कि इस दुनिया में ऐसा बहुत कुछ है जो बेचा और खरीदा नहीं जा सकता है। सेठ ने भगवान की प्रतिमाओं को उठाकर अपने मंदिर में रख दिया और अपने लालची सोच के लिए ईश्वर से माफी मांगते हुए फिर कभी लालच ना करने की कसम खाई।

उस दिन के बाद से, धन और संपत्ति पर सेठ का दृष्टिकोण बदल गया और वो गरीबों को दान पुण्य करने लगा।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच इंसान की विवेक और बुद्धि नष्ट कर देती है।

★सुलेना मजुमदार अरोरा ★