Stories प्रेरणादायक कहानी : रावण का श्राप प्रेरणादायक कहानी : रावण का श्राप लंका नामक स्वर्ण मंडित नगरी की पश्चिमी समरभूमि पर घमासान युद्ध चल रहा था। एक ओर रामचन्द्र जी की वानर सेना डटी थी तो दूसरी ओर लंकाधिपति रावण की भयंकर राक्षसी सेना। दोनों सेनाओं के वीर योद्धा प्राणों से जूझ रहे थे। आज समर भूमि में एक अनोखा कोलाहल और विचित्र उत्तेजना व्याप्त थी। वानर सेना के समरनायक स्वयं प्राभु श्रीराम थे जबकि राक्षसी सेना का हौंसला लंकाधिपति महाबली रावण स्वयं युद्ध का संचालन कर रहा था। By Lotpot 19 Sep 2020
Stories प्रेरणादायक कहानी - गिलहरी से प्रेरणा जी हा! आशा और निराशा दोनों सखियां प्रतिस्पर्धा की भावना से प्रेरित होकर जीवन-पथ पर निरन्तर दौड़ लगाती रहती हैं। कभी आशा आगे निकल जाती है तो कभी निराशा बाजी मार ले जाती हैं। जब आशा जीतने लगती है तो मनुष्य बहुत महत्त्वाकांक्षी हो जाता है। साथ ही अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिये वह जी-जान से परिश्रम करता है। वह सोचने लगता है। कि मेहनत के बल पर वह अवश्य अपनी मंजिल को पा लेगा। इसके विपरीत जब निराशा विजय होने लगती है। तो मनुष्य जीवन से हार मान लेता है। उसे अपने सभी प्रयत्न बेकार लगने लगते हैं। By Lotpot 05 Sep 2020
Stories Moral Story : दान का कमाल प्राचीन काल में सोरठ राज्य के राजा वीर भद्र दान-पुण्य के लिए बड़े लोकप्रिय थे। द्वार पर आने वाला कोई भी याचक खाली हाथ न जाता था।, उनका यह सारा दान, अनीति और अधर्म की कमाई से होता था। By Lotpot 05 Sep 2020
Stories बच्चों को नैतिकता की शिक्षा देती कहानी बंजर पेड़ Hindi Kids Story बंजर पेड़: एक छोटे बालक को आम का पेड़ बहुत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वह तुरन्त आम के पेड़ के पास पहुंच जाता। पेड़ के ऊपर चढ़ना, आम खाना और खेलते हुए थक जाने पर आम की छाया में ही सो जाना। By Lotpot 20 Aug 2020
Stories इस कहानी से जानिए गुरू का महत्व एक बार स्कूल का एक अध्यापक अपने शिष्यों को सूरजमुखी के बीज देकर उसका पौधा उगाने और उसकी देखभाल करने के लिए कहते है। सभी शिष्यों को यह कार्य ज्यादा पसंद नहीं आता लेकिन इनमे से एक शिष्य को ये कार्य बहुत बहुत प्यारा लगता है और वह बड़ी उत्सुकता से इन बीजो को बोता है और कई दिनों तक इनकी देखभाल करता है। By Lotpot 08 Aug 2020
Stories शिक्षा देती एक प्रेरक कहानी क्षमा-दान आधी रात का समय था। छत्रपति शिवाजी गहरी नींद में सो रहे थे। तभी पहरेदारों की नजरें बचाकर बारह-तेरह साल का एक किशोर महाराज के शयन-कक्ष में घुस आया। इधर- उधर देखकर झटपट उसने अपनी कमर में खोंसी कटार निकाल ली और सो रहे शिवाजी पर अभी वह वार करने ही जा रहा था। कि किसी ने पीछे से आकर उसे मजबूती से पकड़ लिया। By Lotpot 05 Aug 2020
Stories बाल कहानी : असलियत पता चली गर्मी के दिन थे। गंगा नदी के घाट-घाट पर भीड़ रहती थी। स्नान करने वालों का तांता लगा रहता था। भीड़ ही भीड़! शोर ही शोर! जिधर देखो, उधर चिल्लपों-चीख पुकार!! स्नानार्थी आधी रात तक भी सिमटने का नाम नहीं लेते थे। By Lotpot 15 May 2020
Stories बाल कहानी : तिरंगे का सम्मान तिरंगे का सम्मान: स्वतंत्रता दिवस का एक दिन शेष था। विद्यालय में बच्चों ने दिनभर 15 अगस्त के कार्यक्रमों की तैयारी की। शशांक भी पूरे दिन की तैयारी से थक कर लौटा था। सोते समय वह माँ से कहने लगा- ‘माँ! मैं सोने के लिए जा रहा हूँ। सुबह मुझे जल्दी जगा देना, ‘वह थका तो था ही, बिस्तर पर जाते ही उसे गहरी नींद आ गयी। By Lotpot 15 May 2020
Stories बाल कहानी : मित्र की पहचान मित्र की पहचान: बरसात का मौसम था आकाश में काले बादल छाये थे। ठंडी ठंडी पुरवाई चल रही थी। पीलू बया का घोंसला तैयार होने में देर थी। उसने अपने मित्र चुग्गा चिड़ा को आवाज दी। By Lotpot 09 May 2020